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महाराजा सर किशन परसाद शाद

1864 - 1940 | हैदराबाद, भारत

महाराजा सर किशन परसाद शाद

ग़ज़ल 27

अशआर 2

दिल में जब से देखता है वो तिरी तस्वीर को

नूर बरसाता है अपनी चश्म-ए-तर से आफ़्ताब

बादा-ए-ख़ुम-ए-ख़ाना-ए-तौहीद का मय-नोश हूँ

चूर हूँ मस्ती में ऐसा बे-ख़ुद-ओ-मदहोश हूँ

 

पुस्तकें 130

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