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जलील मानिकपूरी

1866 - 1946 | हैदराबाद, भारत

सबसे लोकप्रिय उत्तर क्लासिकी शायरों में प्रमुख/अमीर मीनाई के शार्गिद/दाग़ देहलवी के बाद हैदराबाद के राज-कवि

सबसे लोकप्रिय उत्तर क्लासिकी शायरों में प्रमुख/अमीर मीनाई के शार्गिद/दाग़ देहलवी के बाद हैदराबाद के राज-कवि

जलील मानिकपूरी

ग़ज़ल 86

अशआर 345

तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता

कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है

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आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें

दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की

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मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल दिल से मिलता है

मगर मुश्किल तो ये है दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है

ये जो सर नीचे किए बैठे हैं

जान कितनों की लिए बैठे हैं

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जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है

जब याद हम जाएँ मिलने की दुआ करना

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पुस्तकें 9

 

चित्र शायरी 28

ऑडियो 12

कहाँ हम और कहाँ अब शराब-ख़ाना-ए-इश्क़

उस का जल्वा जो कोई देखने वाला होता

ज़ालिम बुतों से आँख लगाई न जाएगी

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