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मुनीर नियाज़ी की टॉप 20 शायरी
किसी को अपने अमल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे ग़लत थे जवाब क्या देते
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आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है
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टैग : आवाज़
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ख़्वाब होते हैं देखने के लिए
उन में जा कर मगर रहा न करो
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टैग : ख़्वाब
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ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे
सवाल का जवाब भी सवाल में मिला मुझे
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मुद्दत के ब'अद आज उसे देख कर 'मुनीर'
इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया
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टैग : दिल
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ग़म की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं
तू ने मुझ को खो दिया मैं ने तुझे खोया नहीं
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मोहब्बत अब नहीं होगी ये कुछ दिन ब'अद में होगी
गुज़र जाएँगे जब ये दिन ये उन की याद में होगी
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आदत ही बना ली है तुम ने तो 'मुनीर' अपनी
जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना
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इक और दरिया का सामना था 'मुनीर' मुझ को
मैं एक दरिया के पार उतरा तो मैं ने देखा
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टैग : ज़र्बुल-मसल
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अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया
चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया
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टैग : हुस्न
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अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ
शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या
थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ
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ख़्वाहिशें हैं घर से बाहर दूर जाने की बहुत
शौक़ लेकिन दिल में वापस लौट कर आने का था
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शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास
रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं
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टैग : औरत
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वो जिस को मैं समझता रहा कामयाब दिन
वो दिन था मेरी उम्र का सब से ख़राब दिन
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कल मैं ने उस को देखा तो देखा नहीं गया
मुझ से बिछड़ के वो भी बहुत ग़म से चूर था
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मैं उस को देख के चुप था उसी की शादी में
मज़ा तो सारा इसी रस्म के निबाह में था
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ग़ैरों से मिल के ही सही बे-बाक तो हुआ
बारे वो शोख़ पहले से चालाक तो हुआ
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घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियाँ
छतों पर खिले फूल बरसात के
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टैग : बारिश
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ज़मीं के गिर्द भी पानी ज़मीं की तह में भी
ये शहर जम के खड़ा है जो तैरता ही न हो
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