प्रवीन राय
ग़ज़ल 11
अशआर 1
उस से ही तो चलते हैं कारोबार गुलशन के
वो ही रात-रानी है वो ही गुल-हज़ारा है
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere