1921 - 1980 | मुंबई, भारत
अग्रणी प्रगतिशील शायरों में शामिल। मशहूर फ़िल्म गीतकार
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें
तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम
वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है
तुझ को ख़बर नहीं मगर इक सादा-लौह को
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
मता-ए-ग़ैर
न मुँह छुपा के जिए हम न सर झुका के जिए
जहाँ जहाँ तिरी नज़रों की ओस टपकी है
मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी
ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया
लहु नज़्र दे रही है हयात
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
तुझे भुला देंगे अपने दिल से ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके
दिल के मुआमले में नतीजे की फ़िक्र क्या
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन
फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में
अभी ज़िंदा हूँ लेकिन सोचता रहता हूँ ख़ल्वत में
तुम्हारा नाम किसी अजनबी के लब पर था
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
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