आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",irWa"
अत्यधिक संबंधित परिणाम ",irwa"
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
जा के होते हैं मसाजिद में सफ़-आरा तो ग़रीब
ज़हमत-ए-रोज़ा जो करते हैं गवारा तो ग़रीब
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
आगे उस मुतकब्बिर के हम ख़ुदा ख़ुदा किया करते हैं
कब मौजूद ख़ुदा को वो मग़रूर-ए-ख़ुद-आरा जाने है
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
आह ये मजमा-ए-अहबाब ये बज़्म-ए-ख़ामोश
आज महफ़िल में 'फ़िराक़'-ए-सुख़न-आरा भी नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम ",irwa"
अन्य परिणाम ",irwa"
नज़्म
दरख़्त-ए-ज़र्द
हैं माजूनें मुफ़ीद ''अर्वाह'' को माजून यूँ होता
सुनो तफ़रीक़ कैसे हो भला अश्ख़ास ओ अश्या में
जौन एलिया
नज़्म
चंद रोज़ और मिरी जान
इक ज़रा सब्र कि फ़रियाद के दिन थोड़े हैं
अरसा-ए-दहर की झुलसी हुई वीरानी में
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ख़िज़्र-ए-राह
ये घड़ी महशर की है तू अर्सा-ए-महशर में है
पेश कर ग़ाफ़िल ‘अमल कोई अगर दफ़्तर में है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मौज़ू-ए-सुख़न
आज फिर हुस्न-ए-दिल-आरा की वही धज होगी
वही ख़्वाबीदा सी आँखें वही काजल की लकीर