aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ا"
अदीम हाशमी
1946 - 2001
शायर
अर्श सिद्दीक़ी
1927 - 1997
असर सहबाई
1901 - 1963
ऐन मीम कौसर
जीम. एैन. वाजिद
लेखक
मीम अलिफ़ राज़ी जालंधरी
सीन. अलिफ़. ख़ान
संपादक
अलिफ़.जीम.बेगम
अलिफ़ ज़ो हसन
एम. एन. ज़रनिगार
शीन अलिफ़ शमीम
काफ़ ऐन महमन्द
ऐन सरमस्त
सय्यद अब्दुल वाहिद (ऐन वाहिद)
मीम ऐन बासित
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनामवो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
और क्या देखने को बाक़ी हैआप से दिल लगा के देख लिया
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीयूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया
वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिनउसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
दस सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार विजेता उपन्यास यहाँ पढ़ें। इस पेज पर सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार विजेता उपन्यास उपलब्ध हैं, जिन्हें रेख़्ता ने उर्दू ई-बुक पाठकों के लिए चुना है।
मिर्ज़ा ग़ालिब निस्संदेह उर्दू के ऐसे महान शायर हैं जिन्हें विश्व साहित्य के प्रतिष्ठित कवियों की सूची में गर्व के साथ शामिल किया जा सकता है। ग़ालिब की शायरी की एक विशेषता यह भी है कि उनके कलाम में बड़ी तादाद में ऐसे अशआर मौजूद हैं जिन्हें अलग अलग परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने प्रयास किया है कि ग़ालिब के अत्यंत लोकप्रिय अशआर आपके लिए एक साथ पेश किये जाएं। ग़ालिब के समग्र कलाम से केवल २० अशआर का चयन करना कितना कठिन है इसका अन्दाज़ा आपको अवश्य होगा। हम स्वीकार करते हैं कि ग़ालिब के कई बेहतरीन अशआर हमारी सूची में शामिल होने से रह गए हैं। हमें आप ऐसे अशआर बिना किसी संकोच के भेज सकते हैं. हमारा संपादक मंडल आपके द्वारा चिन्हित ऐसे अशआर को टॉप २० सूची में शामिल करने पर विचार कर सकता है। आशा है कि आप इस चयन से लाभान्वित होंगे बेहतर बनाने के लिए हमें अपने क़ीमती सुझावों से अवगत कराते रहेंगे।
आईने को मौज़ू बनाने वाली ये शायरी पहले ही मरहले में आप को हैरान कर देगी। आप देखेंगे कि सिर्फ़ चेहरा देखने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला आईना शायरी में आ कर मानी कितनी वसी और रंगा-रंग दुनिया तक पहुँचने का ज़रिया बन गया और महबूब से जुड़े हुए मौज़ूआत के बयान में इस की अलामती हैसियत कितनी अहम हो गई है। यक़ीनन आप आज आईने के सामने नहीं बल्कि इस शायरी के सामने हैरान होंगे जो आईना को मौज़ू बनाती है।
ऐनع
letter 'Ain"
अनीस की मर्सिया निगारी
असर लखनवी
शायरी तन्क़ीद
Farhang-e-Adabiyat-e-Urdu
शब्द-कोश
Allah wa Rasool
अबुल इम्तियाज़
नात
कशफ़ुल अलफ़ाज़-दीवान-ए-ग़ालिब
Mirza Ghalib Aur John Keats
आलोचना
Parsi Barah-e-Nau (Farsi Sikhane Ka Naya Tareeqa)
पाठ्य पुस्तक
Kharzar-e-Hajv
मीम. ऐन. जो. रे
शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा
Urdu Ki Taraqqi Mein Hamara Hissa
Insha Niswan
एन फ़े खानम
महिलाओं की रचनाएँ
कशफ़ुल अलफ़ाज़ ग़ैर मुतादावल ग़ज़लियात-ए-ग़ालिब
संकलन
Dawat-e-Islam
मोहसिन उस्मानी नदवी
Aaine
एन अहमद
नाटक / ड्रामा
Salgirah Number : February,March : Shumara Number-002,003
उम्मतुल्लाह क़ुरैशी
Feb, Mar 1946हूर, लाहौर
Jeet
मीम एैन ग़म
कहानी
Juraat Khulasa Aab-e-Hayat
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहदअक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हमतू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िलकोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
बहुत नज़दीक आती जा रही होबिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोईतू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमीजिस को भी देखना हो कई बार देखना
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत हैऔर तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगेतुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
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