aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بلو"
नसीर बलोच
1956 - 2021
शायर
बक़ा बलूच
नाहीद अख़्तर बलूच
born.1987
सज्जाद बलूच
born.1976
रासिख़ शाहिद
born.2002
बू अली शाह क़लंदर
1804 - 1880
लेखक
अली रज़ा बलोच
born.1993
जितेंद्र बल्लू
born.1937
सैयद फ़ख़्रुद्दीन बल्ले
1930 - 2004
ख़लील हुसैन बलूच
born.1984
नक़्क़ाश अली बलूच
born.1986
बू अली शाह क़लन्दर
1209 - 1324
अनुभव गुप्ता
एच.बी. बलूच
born.1978
समल बलूच
हाथ जिस से कुछ न आए उस की ख़्वाहिश क्यूँ करूँदूध की मानिंद मैं पानी बिलो सकता नहीं
छोटी सी बिल्लूछोटा सा बस्ता
अम्मां अभी दही बिलो रही थीं कि वो मिट्टी का प्याला लिये आ निकली। ये देख कर कि अभी मक्खन ही नहीं निकाला गया तो लस्सी कहाँ से मिलेगी? वो शश-ओ-पंज में पड़ गई कि वापस चली जाए या वहीं खड़ी रहे।“बैठ जाओ आलाँ!" अम्माँ ने कहा, “अभी देती हूँ... कैसी हो?”
वक़्त बूँद बूँद कर के गिरता है, और ख़ुश्क ज़मीन पर गिर कर कैसा सूख जाता है। बस देखते-देखते नज़रों से ओझल हो जाता है। फ़र्श पर सिर्फ़ उसका निशान रह जाता है, जिससे सोंधी-सोंधी ख़ुशबू निकलती है...निकलती ही रहती है। कभी बंद नहीं होती, और अब बुड्ढे अंकल की बेमस्रफ़ ज़िंदगी में बजुज़ इस बू के सूँघते रहने के और कुछ नहीं रह गया है, कुछ काम नहीं। कमीनों की तरह नई ...
“आपका ड्रेस आया है।” एक असिस्टेंट डायरेक्टर अंदर आ गया और बा-आवाज़े-ए-बुलंद बोला। और मदन ख़्वाब-ए-ख़रगोश से जागा और उसने देखा कि असिस्टेंट डायरेक्टर के हमराह एक दर्ज़ी हीरोइन का नया ड्रेस लेकर चला आ रहा है। जामनी रंग का अतलसी ग़रारा, ज़रदोज़ी के काम का बनारसी कुरता और ब्लू शिफॉन का दुपट्टा, सुनहरे गोटे के लहरियों से झिलमिल झिलमिल करता हुआ, ड्रेस के अंदर आ...
बीसवीं सदी का आरम्भिक दौर पूरे विश्व के लिए घटनाओं से परिपूर्ण समय था और विशेष तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए यह एक बड़े बदलाव का युग था। नए युग की शुरुआत ने नई विचारधाराओं के लिए ज़मीन तैयार की और पश्चिम की विस्तारवादी आकांछाओं को गहरा आघात पहुँचाया। इन परिस्थितियों ने उर्दू शायरी की विषयवस्तु और मुहावरे भी पूरी तरह बदल दिए और इस बदलाव की अगुआई का श्रेय निस्संदेह अल्लामा इक़बाल को जाता है। उन्होंने पाठकों में अपने तेवर, प्रतीकों, बिम्बों, उपमाओं, पात्रों और इस्लामी इतिहास की विभूतियों के माध्यम से नए और प्रगतिशील विचारों की ऎसी ज्योति जगाई जिसने सब को आश्चर्यचकित कर दिया। उनकी शायरी की विश्व स्तर पर सराहना हुई साथ ही उन्हें विवादों में भी घसीटा गया। उन्हें पाठकों ने एक महान शायर के तौर पर पूरा - पूरा सम्मान दिया और उनकी शायरी पर भी बहुत कुछ लिखा गया है। उन्होंने बच्चों के लिए भी लिखा है और यहां भी उन्हें किसी से कमतर नहीं कहा जा सकता। 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसी उनकी ग़ज़लों - नज़्मों की पंक्तियाँ आज भी अपनी चमक बरक़रार रखे हुए हैं। यहां हम इक़बाल के २० चुनिंदा अशआर आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। अगर आप हमारे चयन को समृद्ध करने में हमारी मदद करना चाहें तो आपका रेख्ता पर स्वागत है।
मिर्ज़ा ग़ालिब निस्संदेह उर्दू के ऐसे महान शायर हैं जिन्हें विश्व साहित्य के प्रतिष्ठित कवियों की सूची में गर्व के साथ शामिल किया जा सकता है। ग़ालिब की शायरी की एक विशेषता यह भी है कि उनके कलाम में बड़ी तादाद में ऐसे अशआर मौजूद हैं जिन्हें अलग अलग परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। हमने प्रयास किया है कि ग़ालिब के अत्यंत लोकप्रिय अशआर आपके लिए एक साथ पेश किये जाएं। ग़ालिब के समग्र कलाम से केवल २० अशआर का चयन करना कितना कठिन है इसका अन्दाज़ा आपको अवश्य होगा। हम स्वीकार करते हैं कि ग़ालिब के कई बेहतरीन अशआर हमारी सूची में शामिल होने से रह गए हैं। हमें आप ऐसे अशआर बिना किसी संकोच के भेज सकते हैं. हमारा संपादक मंडल आपके द्वारा चिन्हित ऐसे अशआर को टॉप २० सूची में शामिल करने पर विचार कर सकता है। आशा है कि आप इस चयन से लाभान्वित होंगे बेहतर बनाने के लिए हमें अपने क़ीमती सुझावों से अवगत कराते रहेंगे।
प्रख्यात उर्दू कहानीकार l श्रेष्ठ कथाओं जैसे 'ठंडा गोश्त', 'खोल दो ', 'टोबा टेक सिंह', 'बू' आदि के रचयिताl
बिलोبلو
churn
बिल्लूبلو
pet name-Billu
Billu Ka Basta
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
Tarjuma-e-Deewan-e-Bu Ali Qalandar
चिश्तिय्या
Dekho Hamne Kaise Basar Ki
Khubsoorat Bala
आग़ा हश्र काश्मीरी
नाटक / ड्रामा
दीवान-ए-शाह बू अली क़लंदर
शायरी
Mukhtasar Halaat-e-Zindagi Aur Muntakhab Kalam Bu Ali Shah Qalandar Panipati
हकीम गुलचीं करनाली
Allama Iqbal Aur Maulana Zafar Ali Khan
जाफ़र बलूच
Miftah-ul-Ghaib
मोहम्मद अता निज़ामी
व्याख्या
Bolo Mat Chup Raho
हुसैनुल हक़
नॉवेल / उपन्यास
Parai Dharti Apne Log
आख़िरी पडाव
ये जहान-ए-रंग-ओ-बू
ज़किया मशहदी
कहानियाँ
असलम की बिल्ली
इस्माइल मेरठी
Banu Hashim Aur Banu Umayya Ke Muasharti Talluqat
मोहम्मद यासीन मज़हर सिद्दीक़ी
अहद-ए-बनू उमय्या में इल्म-उल-अनसाब
माहिर मजहद जीजान अद्दलिमी
पाया न दिल बहाया हुआ सैल-ए-अश्क कामैं पंजा-ए-मिज़ा से समुंदर बिलो चुका
"कोई नहीं काम वाम। फिर कर लेना।" लेकिन वो चला जाता जैसे कोई जाने पर मजबूर हो और आप ही आप बैठी मुस़्काती रहती। उस रोज़ जब वो जाने लगा तो वो मशीन चलाते हुए बोली, "क़ासी ज़रा यहां तो आना... एक बात पूछूँ बताओगे?" वो रुक गया, "यहां आओ, बैठ जाओ।" वो उसकी तरफ़ देखे बिना बोली, वो उसके पास ज़मीन पर बैठ गया। वो ज़ेर-ए-लब मुस्कुराई। फिर दफ़्अतन अपना बाज़ू उसकी गर्दन...
मैं चाहती हूँ कि पंजा साहब देखने के लिए पाकिस्तान आऊँ, मगर फ़िलहाल ये नामुमकिन है क्योंकि मेरे पापा कारोबार नहीं छोड़ सकते और उनके अलावा और कोई नहीं जो मेरे साथ जा सके। मैं किसी हद तक मज़हबी तो हूँ मगर मैं ये नहीं चाहती कि कोई मज़हब को मुझ पर ठूँसे और ज़बरदस्ती उठा कर गुरुद्वारे ले जाए। मैं चाहती हूँ कि मेरी दुआएं दिल से निकलें, क्या तुम मज़हब पर यक...
لوگ جب اخبار میں لاہور اور پنڈی کی سردی کی شدید خبریں پڑھتے ہیں تو ان سے بچاؤ کے لیے بالو کی بھنی مونگ پھلی اور گزک کے پھنکے مارتے ہیں۔ ان کے بچے بھی انہیں پر پڑے ہیں۔ باد شمال اور گوشمالی سے بچنے کے لئے اونی کنٹوپ پہن کر آئس کریم کھاتے اور بڑوں کے سامنے بتیسی بجاتے ہیں۔ کراچی میں پنڈی سے تین لحاف کم سردی پڑتی ہے۔ نووارد حیران ہوتا ہے کہ اگر یہ جاڑ...
کیوں کہ یہ رخشندہ کا خط تھا جسے وہ اب تک کم از کم پچیس مرتبہ پڑھ چکی تھی۔ اور اب اسے خوف ہورہا تھا کہ کہیں اسے ڈاکٹر عارف سے اپنی سائیکوانالسس نہ کروانی پڑ جائے۔ زندگی بھی واقعی کیسی عجیب چیز ہے۔ بے انتہا عجیب۔ بالکل بے سروپا ۔ رخشندہ کا خط اسی طرح قالین پر پڑا ہوا تھا۔ بھئی اللہ یہ کرسمس کی صبح تھی ۔ کیرل گانے والی ٹولیاں دور نکل چکی تھیں اور پہاڑی خوبانیوں کی ڈھلوان کے پرے کیتھیڈرل کی دوسری طرف سے بیگ پائپ کے تیز اور مدھم سروں کی لہریں برفانی ہوا میں تیرتی ہوئی دریچے کے شیشے سے ٹکرا کر اندر داخل ہونے کی کوشش کر رہی تھیں۔ ہرسال یہ بیگ پائپ بجانے والے ۲۵؍ دسمبر کی صبح کو اسے اسی طرح جگا دیا کرتے تھے اور وہ جھنجھلا کر پھر تکیے میں منہ چھپا لیتی تھی۔ مگر اب۔۔۔ اب تو ساری کہانی ہی ختم ہوچکی ہے۔ توبہ۔۔۔ افوہ۔۔۔ ہوا کے ایک جھونکے سے رخشندہ کا خط اڑتا ہوا آتش دان میں جاگرا۔ اس نے اٹھ کر دریچہ بند کردیا اوردیوان پر گر گئی۔ صبح کی ہلکی ہلکی قرمزی روشنی دیواروں پر پڑ رہی تھی۔ کتھیڈرل کا گھنٹہ بجے جارہا تھا اور Gants brough کا۔ ’’بلوبوائے‘‘دیوار پر سے جھانک کر مسکرا رہا تھا۔ ’’بلو بوائے۔‘‘ شاہینہ نے آنکھیں بند کر لینی چاہیں لیکن تصویر کے شیشے پر بہت سی دھندلی دھندلی رنگین پر چھائیاں ناچنے لگیں۔
दुख है ठहरा हुआ निगाहों मेंतेरी यादें बिलो रही है रात
ایکس رے عینکفرمایا ایک ’’ایکس رے عینک‘‘ کا پلان بھی ذہن میں بالکل تیار ہے۔ شیور چھوٹا ہوجائے تو اس کی باری آئے۔ پوچھا، یہ کیا شے ہوتی ہے؟ فرمایا، آپ کے مطلب کی چیز ہے۔ آپ نے گوجرانوالہ کی ترک افیون گولیوں کا اشتہار دیکھا ہے؟ یہ بھی در اصل ایک اصلاحی آلہ ہے۔ ہم اور چکرائے۔ ارشاد ہوا کہ اس عینک کو لگا کر جسے دیکھا جائے، اس کا گوشت پوست، خط و خال، رنگ روپ سب غائب ہو جائے گا۔ صرف جسم کی ۲۰۶ ہڈیاں نظرآئیں گی۔ پیرس کےنائٹ کلبوں، ساحل سمندر، نیوڈ کالونیز اور رقص گاہوں میں داخل ہونے سے پہلے تماشائیوں کو زبردستی یہ عبرت آموز عینکیں پہنا دی جائیں گی۔ پوچھا، یہ عینک پہن کر بلو فلم دیکھی جائے تو کیا صرف ہڈیاں نظر آئیں گی؟ ہمارے غیر متوقع سوال پر بالترتیب تعجب، تذبذب، تبسم فرمانے کے بعد ارشاد ہوا کہ جب اس عینک کا استعمال عام ہو جائے گا تو بلو فلموں کی شوٹنک ایکس رے کیمروں سے ہوا کرے گی۔
औरत ने इलियास से कहा, "नई नवेली है ना, डरती है।" फिर वो दरवाज़े में गई, "बेवक़ूफ़ हो तुम तो, बिल्कुल ही देहातन हो। अब ऐसा भी क्या, आ जाओ ना बिल्ली।"इलियास ने तकिये के नीचे से बटुआ उठाकर एक सौ के बहुत से नोटों में से एक नोट निकाला और दरवाज़े के पास जाकर बोला, "ये लीजिए मेरे कमरे की दहलीज़ उलांगने का नज़राना..." औरत ने फ़ौरन इलियास के हाथ से नोट ले लिया और बोली, "अब तो आना ही पड़ेगा बिल्लो। ये लो..." उसने नोट वाला हाथ आगे बढ़ाया मगर फिर उसे तह करके मुट्ठी बंद करली और सरगोशी में बोली, "अरी पगली! होटल का मामला है। चलो अब जल्दी से आ जाओ। एक घंटे से जो मैं तुम्हें समझा रही थी तो क्या इसका तुमपर यही असर हुआ? बेवक़ूफ़।" फिर बाहर जाकर उसने बिल्क़ीस को जैसे धक्का दे दिया।
जंगल से निकलते-निकलते वो एक दम ठिटका, एक पर्सेंध मूर्ति उसके ध्यान का रस्ता काट रही थी और वो उपदेश जिसे वो भूल ही गया था कि भिक्षुओ अपने विचारों की देख-भाल रखो और अगर तुम बुराई के रस्ते पर पड़ जाओ तो अपने आपको वहाँ से ऐसे निकालो जैसे हाथी दलदल से निकलता है, उसने आगे उठते हुए पाँव को रोका और ऐसे पलटा जैसे हाथी दलदल से निकलता है। वो एक पछतावे के साथ ...
वाँचू संजीदा हो गया, "बहुत अच्छी बात है लेकिन इतना मैं आप को ज़रूर बता देना चाहता हूँ कि जो लोग आयरन शीट्स और सीमेंट का सरप्लस कोटा ले सकते हैं और जो उसको स्मगल भी करा सकते हैं। वो अपने बचाव के तरीक़े भी जानते ही होंगे। चोर चोरी करने जाता है तो बाहर निकलने का रस्ता पहले देख लेता है", और इस में शक भी नहीं कि वाँचू ठीक ही कह रहा था। इस लिए कि "यूनाइटे...
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