aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "زدن"
ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़
1817 - 1852
शायर
ज़ैन अब्बास
1998 - 2022
मज़हर मेहदी
born.1948
लेखक
ज़ैन एहतराम
फ़ारूक़ ज़मन
born.1969
अहमद जैनुद्दीन
born.1939
ज़ैन रामिश
born.1963
अबू ज़फ़र ज़ैन
1917 - 1993
ज़ैनुल अबिदीन अहमद
born.1817
डॉ. ज़ैनुल आबिदीन
क़ाज़ी ज़ैनुल आबिदीन सज्जाद मेरठी
1910 - 1991
फ़रीदा ज़ैन
क़ाज़ी मोहम्मद ज़ैनुल आबिदीन
इमाम ज़ैनुल अाबिदीन
ज़ैनुल हैदर अलवी काकोरवी
चौथे ने उनको रोका, “ठहरो... इससे क्या फ़ायदा... चलो पुल पर उन लोगों को मारें।”मैंने उसको पहचान लिया। ये थैला कंजर था... नाम मोहम्मद तुफ़ैल था मगर थैला कंजर के नाम से मशहूर था। इसलिए कि एक तवाइफ़ के बतन से था। बड़ा आवारागर्द था। छोटी उम्र ही में उसको जुए और शराबनोशी की लत पड़ गई थी।
जैसा कि बयान किया जा चुका है, उस्ताद मंगू को गोरों से बेहद नफ़रत थी। जब उसने अपने ताज़ा गाहक को गोरे की शक्ल में देखा तो उसके दिल में नफ़रत के जज़्बात बेदार हो गए। पहले तो उसके जी में आई कि बिल्कुल तवज्जो न दे और उसको छोड़ कर चला जाये मगर बाद में उसको ख़याल आया, उनके पैसे छोड़ना भी बेवक़ूफ़ी है। कलग़ी पर जो मुफ़्त में साढे़ चौदह आने ख़र्च कर दिये हैं। उनकी जेब ही से वसूल करने चाहिऐं, चलो चलते हैं।
‘‘क्या सुनाऊँ, मैं तो सिर्फ क्लासिकी म्यूज़िक ही बजाती हूँ।’’‘‘हाय...पॉप...नहीं?’’ लड़कियों ने गुल मचाया... ‘‘अच्छा कोई इंडियन फ़िल्म सांग ही बजाओ...’’
मैं नेचर के मसर्रत अफ़ज़ा मनाज़िर से लुत्फ़अंदोज़ होता सड़क के एक मोड़ पर पहुंचता हूँ... दफ़अ’तन मेरी निगाहें उससे दो-चार होती हैं। बेगू मुझसे बीस क़दम के फ़ासले पर अपनी भैंस के साथ खड़ी है... जिस दास्तान का अंजाम इस वक़्त आपके पेश-ए-नज़र है, उसका आग़ाज़ यहीं से होता है।वो जवान थी। उसकी जवानी पर बटोत की फ़िज़ा पूरी शिद्दत के साथ जल्वागर थी। सब्ज़ लिबास में मल्बूस वो सड़क के दरमियान मकई का एक दराज़ क़द बूटा मालूम हो रही थी चेहरे के ताँबे ऐसे ताबां रंग पर उसकी आँखों की चमक ने एक अ’जीब कैफ़ियत पैदा करदी थी जो चश्मे के पानी की तरफ़ साफ़ और शफ़्फ़ाफ़ थीं... मैं उसको कितना अ’र्सा देखता रहा, ये मुझे मालूम नहीं। लेकिन इतना याद है कि मैंने दफ़अ’तन अपना सीना मोसीक़ी से लबरेज़ पाया और फिर मैं मुस्कुरा दिया।
यहाँ बुद्ध का नग़्मा-ए-इरफ़ाँ गूँजा था, यहाँ भिक्षुओं ने अम्न-ओ-सुल्ह-ओ-आश्ती का दर्स-ए-हयात दिया था।अब आख़िरी गिरोह की अजल आ गई थी।
उर्पदू में र्तिबंधित पुस्तकों का चयन
बीसवीं सदी का आरम्भिक दौर पूरे विश्व के लिए घटनाओं से परिपूर्ण समय था और विशेष तौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए यह एक बड़े बदलाव का युग था। नए युग की शुरुआत ने नई विचारधाराओं के लिए ज़मीन तैयार की और पश्चिम की विस्तारवादी आकांछाओं को गहरा आघात पहुँचाया। इन परिस्थितियों ने उर्दू शायरी की विषयवस्तु और मुहावरे भी पूरी तरह बदल दिए और इस बदलाव की अगुआई का श्रेय निस्संदेह अल्लामा इक़बाल को जाता है। उन्होंने पाठकों में अपने तेवर, प्रतीकों, बिम्बों, उपमाओं, पात्रों और इस्लामी इतिहास की विभूतियों के माध्यम से नए और प्रगतिशील विचारों की ऎसी ज्योति जगाई जिसने सब को आश्चर्यचकित कर दिया। उनकी शायरी की विश्व स्तर पर सराहना हुई साथ ही उन्हें विवादों में भी घसीटा गया। उन्हें पाठकों ने एक महान शायर के तौर पर पूरा - पूरा सम्मान दिया और उनकी शायरी पर भी बहुत कुछ लिखा गया है। उन्होंने बच्चों के लिए भी लिखा है और यहां भी उन्हें किसी से कमतर नहीं कहा जा सकता। 'सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसी उनकी ग़ज़लों - नज़्मों की पंक्तियाँ आज भी अपनी चमक बरक़रार रखे हुए हैं। यहां हम इक़बाल के २० चुनिंदा अशआर आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। अगर आप हमारे चयन को समृद्ध करने में हमारी मदद करना चाहें तो आपका रेख्ता पर स्वागत है।
गिर्या-ओ-ज़ारी आशिक़ का एक मुस्तक़िल का मश्ग़ला है, वो हिज्र में रोता ही रहता है। रोने के इस अमल में आँसू ख़त्म हो जाते हैं और ख़ून छलकने लगता है। यहाँ जो शायरी आप पढ़ेंगे वो एक दुखे हुए और ग़म-ज़दा दिल की कथा है।
ज़दनزدن
to be on target
Tahreek-e-Pakistan Mein Talba Ka Kirdar
मुख़तार ज़मन
राजनीतिक आंदोलन
ज़ैनुल मजालिस
क़ाज़ी मोहम्मद यूसुफ़
मसनवी
नबी-ए-अरबी
इतिहास
ज़बान ज़द अशआर
हसनुद्दीन अहमद
अशआर
Hindustan Ki Azadi Aur Musalmanon Ki Qurbaniyan
ज़ैनुल अबिदीन ख़ाँ
भारत का इतिहास
Mishkat-ul-Mohideen
राजपूत और मुग़ल ज़न-ओ-शू की मुआशरत
सय्यद मक़बूल अहमद समदानी
Urdu Ke Stage Dramon Ka Funny Aur Tanqeedi Mutala
ज़ैनुद्दीन हैदर
Zaban Zad Ashaar
Urdu Mein Wasokht Nigari
सय्यद ज़ैनुल अबिदीन
शायरी तन्क़ीद
Kaghaz-e-Aatish Zada
गोपी चंद नारंग
लेख
Bap Ka Khat Beti Ke Naam
पत्र
Tareekh-e-Millat
इस्लामिक इतिहास
Zainul-Majalis
Tegh-Zan
मुजीब ने अचानक मुझसे सवाल किया, “क्या तुम उस आदमी को जानते हो?”गुफ़्तुगू का मौज़ू ये था कि दुनिया में ऐसे कई अश्ख़ास मौजूद हैं जो एक मिनट के अंदर अंदर लाखों और करोड़ों को ज़र्ब दे सकते हैं, इनकी तक़सीम कर सकते हैं। आने-पाई का हिसाब चश्म-ए-ज़दन में आपको बता सकते हैं।
दिल-फ़िगार का हबाओ छूट गया। उसे यक़ीन हो गया कि में दुनिया में ना-शाद-ओ-ना-शाद मर जाने के लिए पैदा किया गया था और अब महज़ इस के कोई चारा नहीँ कि किसी पहाड़ पर चढ़ कर अपने तईं गिरा दूँ। ताकि माशूक़ की जफ़ा-कारियों के लिए एक रेज़ा उस्तख़्वाँ भी बाक़ी न रहे। वो दीवाना-वार उठा और अफ़्ताँ-ओ-ख़ीज़ाँ एक सर-ब-फ़लक कोह की चोटी पर जा पहुँचा। किसी और वक़्त वो ऐसे ऊँचे पहा...
ख़ुश-हाल भी हो सकता हूँ मैं चश्म-ए-ज़दन मेंमेरे लिए उस जिस्म का सोना ही बहुत है
ये तख़्लीक़ी नस्र है, लेकिन सिर्फ़ नस्र है। शायराना वसाइल का कहीं पता नहीं। पूरे अफ़साने में नस्र का तवाज़ुन इसी तरह बरक़रार रखा गया है। मैंने जान-बूझ कर ऐसा अफ़साना मुंतख़ब किया है जिसमें मुकालमा बिल्कुल नहीं है और ब्यानिया भी बहुत कम है। इसके बावजूद नस्र की तख़्लीक़ी नौईयत शायरी से मुख़्तलिफ़ रहती है, ये नस्र निगार की बहुत बड़ी ख़ूबी है। वर्ना मुकालमा और ब्या...
یک مژہ برہم زدن حشر دوعالم فتنہ ہےیاں سراغ عافیت جزدیدہ بسمل نہ پوچھ
मस्जिद हो मदरसा हो कोई ख़ानक़ाह हो
پانچ انگلیوں میں یہ حرف زن ہےیعنی کہ مطیع پنج تن ہے
رفتہ رفتہ گھر کی چار دیواری ایک مکمل ڈائریکٹری کی صورت اختیار کرلیتی ہے۔ دروازے کے اوپر بوٹ پالش کا اشتہار ہے۔ دائیں طرف تازہ مکھن ملنے کا پتہ مندرج ہے۔ بائیں طرف حافظہ کی گولیوں کا بیان ہے۔ اس کھڑکی کے اوپر انجمن خدام ملت کے جلسے کا پروگرام چسپاں ہے۔ اُس کھڑکی پر کسی مشہور لیڈر کے خانگی حالت بالوضاحت بیان کردیئے گئے ہیں۔ عقبی دیوار پر سرکس کے تمام...
بے آبرو کروں گا نہ مانے گا حکم جو پانی کا اک قطرہ نہ شاہ زمن کو دو
عالم ارواح یا ملائکہ کی جو فرضی تصویر کھینچی جاتی ہے، اس میں صورتوں کو اور لباس کو نمایاں نہیں کرتے کیونکہ انسان پر ایک شے کی عظمت کا اثر اس وقت زیادہ پڑتا ہے جب وہ اچھی طرح نظر نہ آئے۔ ذخّار سمندر کی تصویر اس طرح کھینچتے ہیں کہ موجیں، اور آسمان کی فضا دھندلی نظر آئے۔ اندھیری راتوں میں دور سے جنگل میں کوئی دھندلا سا عکس نظر آتا ہے تو انسان ہیبت...
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