aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "فراڈ"
अहमद फ़राज़
1931 - 2008
शायर
फ़िराक़ गोरखपुरी
1896 - 1982
अज़हर फ़राग़
born.1980
ताहिर फ़राज़
फ़राग़ रोहवी
1956 - 2020
अली फ़राज़ रिज़वी
born.2002
आसिमा फ़राज़
born.1985
फ़राज़ सुल्तानपूरी
नासिर नज़ीर फ़िराक़ देहलवी
1865 - 1933
लेखक
फ़राज़ महमूद फ़ारिज़
born.1993
फ़राज़ हसनपूरी
born.1983
नईम फराज़
गुल फ़राज़
born.1987
फ़िराक़ जलालपुरी
सिग्मुंड फ़्रोइड
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैंसो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलेंजिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
फ़िराक़ गोरखपुरी की ये पाँच नज़्में उर्दू शायरी के पाठकों के लिए बेहद अहम् है . इन्हें पढ़ कर किसी पाठक को उर्दू भाषा का एक अनूठा ज़ायक़ा प्राप्त होता है .
ईद एक त्यौहार है इस मौक़े पर लोग ख़ुशियाँ मनाते हैं लेकिन आशिक़ के लिए ख़ुशी का ये मौक़ा भी एक दूसरी ही सूरत में वारिद होता है। महबूब के हिज्र में उस के लिए ये ख़ुशी और ज़्यादा दुख भरी हो जाती है। कभी वो ईद का चाँद देख कर उस में महबूब के चेहरे की तलाश करता है और कभी सब को ख़ुश देख कर महबूब से फ़िराक़ की बद-नसीबी पर रोता है। ईद पर कही जाने वाली शायरी में और भी कई दिल-चस्प पहलू हैं। हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब पढ़िए।
ज्ञानपीठ से पुरस्कृत उर्दू किताबें.
उर्दू भाषा और साहित्य
आलोचना
Janan Janan
काव्य संग्रह
Gul-e-Naghma
Kulliyat-e-Ahmad Faraz
कुल्लियात
Tahleel-e-Nafsi Ka Ijmali Khaka
मनोविज्ञान
अहमद फ़राज़ की मुंतख़ब शायरी
एम.एच.के. क़ुरैशी
संकलन
Shahr-e-Sukhan Aarasta Hai
Kalam-e-Ahmad Faraz
Urdu Ghazal Goi
ग़ज़ल तन्क़ीद
Khwab-e-Gul Pareshan Hai
Ahamad Faraz Shakhsiyat Aur Shayari
अब्दुल क़ादिर ग़यासुद्दीन फ़ारूक़ी
जीवनी
Tahzeeb Aur Uske Haijanat
दर्शन / फ़िलॉसफ़ी
Majmua-e-Ahmad Faraz
Nawab Fraud Jung Bahadur
इब्राहिम जलीस
यूं तो मंटो को मैं इस की पैदाइश ही से जानता हूँ। हम दोनों इकट्ठे एक ही वक़्त 11 मई सन 1912ई. को पैदा हुए लेकिन उसने हमेशा ये कोशिश की कि वो ख़ुद को कछुआ बनाए रखे, जो एक दफ़ा अपना सर और गर्दन अंदर छुपा ले तो आप...
विसाल-ए-जाँ-फ़ज़ा तो क्याफ़िराक़-ए-जाँ-गुसिल की भी
हम तीनों चौंक पड़े। मुमताज़ के लहजे में कोई तकल्लुफ़ नहीं था, इसलिए मैंने संजीदगी से पूछा, “एक भड़वे की?” मुमताज़ ने इस्बात में सर हिलाया। “मुझे हैरत है कि वो कैसा इंसान था और ज़्यादा हैरत इस बात की है कि वो उर्फ-ए-आम में एक भड़वा था... औरतों का...
मुझे माहिम जा कर अपने चंद रिश्तेदारों से मिलना था। इसके इलावा मुझे एक रेडियो आर्टिस्ट समीना का पता लेना था। (बाद में कृश्न-चंदर से जिसके मरासिम रहे)। उस लड़की को मैंने ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली से बंबई भेजा था। क्योंकि उसको फ़िल्म में काम करने का शौक़ था। मैंने...
शारदा ने मुख़्तसर सा जवाब दिया, “बस है।” “तो आज से नहीं रहेगी…ये लीजिए। ”ये कह कर उसने गिलास शारदा की तरफ़ बढ़ा दिया।...
कभी ना छोड़े हमारा साथ हमें छोड़ा किसी और को करे...
“आप बनिये नहीं... मैं आपको अच्छी तरह जानती हूँ, ये फ़्राड मेरे साथ नहीं चलेगा आप का।” “अब मैं फ़्राड बन गया?”...
यादश बख़ैर! एक साहब थे देवेन्द्र सत्यार्थी। थे क्या, अब भी हैं और उर्दू और हिन्दी के बहुत बड़े अदीब हैं। लोक गीतों पर अंग्रेज़ी में भी एक किताब छपवा चुके हैं। उसी ज़माने में वो दिल्ली आए तो उन्हें भी अफ़साना निगारी का शौक़ चर्राया। ख़ासे जहाँदीदा आदमी थे...
चचा जान, मैं आपसे सच अर्ज़ करता हूँ कि जब आपके अमरीका का कोई फ़ौजी किसी यहूदन, पारसी या ऐंगलो इंडियन लड़की को अपने साथ चिमटाये गुज़रता था तो टॉमियों के सीने पर साँप लोट-लोट जाते थे। अस्ल में आपकी हर अदा निराली है। हमारे फ़ौजी को तो यहाँ इतनी...
“आवत हिन भय्यन साहेब...” हेम-किरन ने दालान का पीतल के नक़्श-ओ-निगार वाला किवाड़ खोलते हुए ग़ल्ले के गोदाम में से बाहर आकर जवाब दिया और कुंजियों का गुच्छा सारी के पल्लू में बाँध कर छन से पुश्त पर फेंकती हुई सहंची में आ गईं। “जय राम जी की भय्यन साहेब…”,...
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