aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "نیند"
नीना सहर
born.1966
शायर
नैना आदिल
नैन सुख
born.1750
हीरानंद सोज़
1922 - 2002
ब्रहमा नन्द जलीस
1930 - 1999
नंद किशोर अनहद
born.1998
स्वामी श्यामानन्द सरस्वती रौशन
born.1920
आनंद बनारसी
1889 - 1969
स्वामी विवेकान्नद
1863 - 1902
लेखक
नन्द किशोर विक्रम
born.1929
Aatma Nand Al Maseeh
स्वामी दरशना नन्द सरसवती महाराज
नैना जोगन
born.1964
नीना ब्राउन बेकर
प्रमान्नद श्रीवास्तवा
मौत का एक दिन मुअ'य्यन हैनींद क्यूँ रात भर नहीं आती
बिन तुम्हारे कभी नहीं आईक्या मिरी नींद भी तुम्हारी है
किस क़दर तुम पे गिराँ सुब्ह की बेदारी हैहम से कब प्यार है हाँ नींद तुम्हें प्यारी है
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगेअभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहेनींद रखो या न रखो ख़्वाब मेयारी रखो
नींद और ख़्वाब शायरी में बहुत मर्कज़ी मौज़ू के तौर पर नज़र आते हैं। हिज्र में नींद का उनका हो जाना, नींद आए भी तो महबूब के ख़्वाब का ग़ायब हो जाना और इस तरह की भी बहुत सी दिल-चस्प सूरतों उस शायरी में मौजूद हैं।
ख़्वाब सिर्फ़ वही नहीं है जिस से हम नींद की हालत में गुज़रते हैं बल्कि जागते हुए भी हम ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा रंग बिरंगे ख़्वाबों में गुज़ारते हैं और उन ख़्वाबों की ताबीरों के पीछे सरगर्दां रहते हैं। हमारा ये इन्तिख़ाब ऐसे ही शेरों पर मुश्तमिल है जो ख़ाब और ताबीर की कश्मकश में फंसे इन्सान की रूदाद सुनाते हैं। ये शायरी पढ़िए। इस में आपको अपने ख़्वाबों के नुक़ूश भी झिलमिलाते हुए नज़र आएँगे।
नींदنیند
sleep
Bazar Mein Neend
शमीम हनफ़ी
नाटक / ड्रामा
नींद की मुसाफ़तें
अज़रा अब्बास
कविता
Kuchh Der Pahle Neend Se
शकीला रफ़ीक़
महिलाओं की रचनाएँ
Adhoori Neend
हबीब मोहाना
Neend Ka Rang
सारा शगुफ़्ता
Surmai Neend Ki Bazgasht
नसीर अहमद नासिर
नज़्म
Ham Sab Neend Mein Hain
ज़ेबा जौनपुरी
काव्य संग्रह
Neend Ki Kirchein
शहरयार
Krishan Chander
विनिबंध
Neend Ki Silwat
आयशा असलम
अफ़साना
Neend Ki Kirchen
हिंदुस्तान की तहरीक-ए-आज़ादी
नयनतारा सहगल
Baqiyat-e-Bharat Musafir
हकीम नन्द लाल
औषधि
Musawwar Tazkire
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Siyaq Nama
Munshi Nand Ram Kayasth
गणित
सर ही अब फोड़िए नदामत मेंनींद आने लगी है फ़ुर्क़त में
उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिएकि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए
आई होगी किसी को हिज्र में मौतमुझ को तो नींद भी नहीं आती
बे-क़रारी मिलेगी मुझे न सुकूँ चैन छिन जाएगा नींद उड़ जाएगीअपना अंजाम सब हम को मालूम था आप ने दिल का सौदा मगर कर लिया
चूँ शम-ए-सोज़ाँ चूँ ज़र्रा हैराँ ज़ मेहर-ए-आँ-मह बगश्तम आख़िरन नींद नैनाँ न अंग चैनाँ न आप आवे न भेजे पतियाँ
इस सफ़र में नींद ऐसी खो गईहम न सोए रात थक कर सो गई
सर उठाओ तो सही आँख मिलाओ तो सहीनश्शा-ए-मय भी नहीं नींद के माते भी नहीं
मेरी करवट पर जाग उठ्ठेनींद का कितना कच्चा चाँद
मौत का एक दिन मुअय्यन हैनींद क्यूँ रात भर नहीं आती
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