aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "وائٹ"
नाज़ वाई
शायर
वाल्ट ह्विटमैन
1819 - 1892
लेखक
पादरी एच, यू, वाइट ब्रेजेंट सेनटंट
क्रिसेंट पब्लिकेशन्स वाइट हाउस, गया
पर्काशक
ऐने टेरी वाइट
1886 - 1980
वाइट पेपर पब्लिकेशन, मुंबई
बेगम वाई अली ख़ां
डॉ. सी. वाई. एस. ख़ान
वाई. एफ. रोनोफ़
संपादक
वाई. एल. फ्रोलोफ़
एस.वाई.क़ुरेशी
वाई. काशलीफ़
निर्मला वॉलेट दत्त
वाई. एस. ताहिर अली
वाई. एम. विलादिमीरोव
आँखें ब्लैक-एण्ड-वाइट हैं तो फिर इन में क्यूँरंग-बिरंगे ख़्वाब कहाँ से आते हैं
जब वो चौमेल के डाक बंगले पर पहुंचा, तो हर तरफ़ शाम की उदासी छा रही थी। सामने का स्याह पहाड़ किसी वसीअ क़िले की दीवार मालूम हो रहा था, और दरख़्तों की चोटियाँ पहरेदार की बंदूक़ें। अब वो फिर अकेला था, उसे अपने आपसे, क़िले की दीवार से, पहरेदारों...
अब की जुलाई में खेम और किशोरी इकट्ठी ही जौनपूर से ट्रेन में सवार हुईं। और लखनऊ आन पहुँचीं। चारबाग़ पर मामा, खेम को उतरवाने के लिए आ गए थे। और किशोरी को पहुँचाने के लिए तो माजिद भाई बेचारे मर्दाना डिब्बे में मौजूद ही थे। स्टेशन की बरसाती में...
हाफ़िज़ हुसैन दीन जो दोनों आँखों से अंधा था, ज़फ़र शाह के घर में आया। पटियाले का एक दोस्त रमज़ान अली था, जिसने ज़फ़र शाह से उसका तआरुफ़ कराया। वो हाफ़िज़ साहिब से मिल कर बहुत मुतअस्सिर हुआ। गो उनकी आँखें देखती नहीं थीं मगर ज़फ़र शाह ने यूं महसूस...
“ये आम रास्ता नहीं”, और शाम के अँधरे में ज़न्नाटे से आती हुई कारों की तेज़ रौशनी में नर्गिस के फूलों की छोटी सी पहाड़ी में से झाँकते हुए ये अल्फ़ाज़ जगमगा उठते हैं, “प्लीज़ आहिस्ता चलाइए... शुक्रिया!” और बहार की शगुफ़्ता और रौशन दोपहरों में सुनहरे बालों वाली कर्ली...
वाइटوائٹ
white
ए वॉइस फ्रॉम दी ईस्ट
ज़ुल-फ़िक़ार अली ख़ान
आलोचना
George Washington Carver
अनुवाद
Tareekh-e-Mysore, Saltanat-e-Khudadad
साहित्य का इतिहास
Apocrypha
Aaina
सामाजिक
Hafiz The Voic of God
Gulzar Theo Sufi
बाबू राय बरोदा कंथ लाहरी
सूफ़ीवाद / रहस्यवाद
Walt Whitman Ki 21 Nazmein
नज़्म
James Watt Ki Sarguzasht
मुंशी महबूब आलम
Saqafati Talluqat Aur Baqa-e-Baham Ka Farogh
सांस्कृतिक इतिहास
Walt Whitman Ki 21 Mazmein
शायरी
Wadi-e-Purkhar
अननोन ऑथर
नॉवेल / उपन्यास
Ayodhya Par Wight Paper Umoomi Jaiza
X Y Z
“और पता है हम दूर पहाड़ों में तन्हा निकल जाते, हमारे कमरे से बाहर आसमान होता या पहाड़ और अन्दर हम दोनों... मेरी और तुम्हारी पसन्द यकजा हो जाती। रेशम का बिस्तर और आफ़ वाईट लाइट्स... और अचानक मेरी आँख खुलती तो मैं देखता कि तुम पलंग पे नहीं हो,...
ये ख़ुलूस, ये सादगी, ये अपनाइयत ऐसे प्यारे दोस्त उसे आज तक कहीं न मिले थे। बहुत जल्द वो वजाहत के सट में घुल मिल गया। वो सब के सब इतने दिलचस्प थे। लियोनोर और शरजू लू कहलाती थी, जिसकी माँ अमरीकन और बाप पहाड़ी था। उसकी तिरछी-तिरछी नेपाली आँखों...
मलिक से हमीद की नई नई दोस्ती हुई थी। चाहिए तो ये था कि हमीद इस शरारत से बाज़ रहता मगर उन दिनों वो इस क़दर ज़िंदा दिल और शरारत पसंद था कि जब बेरा मलिक के लिए लिमोनेड का दूसरा गिलास लाया और उस की तरफ़ देख कर मुस्कुराया...
“माव मोज़ैल आप ग़लती पर हैं। ये मेरा घर नहीं है। मेरे पास फ़र्स्ट फ़्लोर पर सिर्फ़ एक कमरा है। मैं इन लोगों के लिए चाय और खाना तैयार करने यहाँ आई हूँ।” और उन दोनों ऊँची ख़वातीन ने अपनी बुलंदी पर से झुक कर देखा कि वो महज़ एक...
अब उसे बेशुमार तफ़क्कुरात थे, कोठी के, बीवी के, बच्चों के, उन औरतों के जिनसे उनका मेल जोल था। इनकम टैक्स का टंटा अलग था, सेल्ज़ टैक्स का झगड़ा जुदा। इसके इलावा और बहुत सी उलझनें थीं जिनसे मजीद को कभी नजात ही नहीं मिलती थी। चुनांचे अब वो उस...
’’جب میں بڑا ہو کرڈیڈی کی طرح میجر بنوں گا اور ری شی سے شادی کروں گا تو تم اورسلیم ہمارے ہاں مہمان آنا۔ میں راج پور میں یوکلپٹس کے جنگلوں میں ایک بہت بڑا اوراونچا سا چاکلیٹ اور کیک کا گھر بناؤں گا۔ پھر اس میں ری شی اسنو...
औरत अपने शौहर को नहीं भूली थी। दूसरी शादी के बाद वो फ़क़त तीन-चार बार उनसे मिलने आया। ख़र्चा भी सिर्फ़ एक-डेढ़ साल भिजवाया। अब कभी-कभार उसका ख़त आ जाता था या फिर ईद पर वो मनी-आर्डर कर देता। और औरत के लिए ये बहुत था। घर की एक दीवार...
मैंने अटैची में से वाइट हॉर्स की बोतल निकाल कर मेज़ पर रखी तो वो तौलिया लपेट कर बाहर आ गया। उसने मुझे हाथ से पकड़ा और साथ वाले कमरे में ले गया। वहाँ एक वसीअ-ओ-अरीज़ पलंग पर दो तकिये सजे थे। बोला, "ये है सफ़ेद घोड़ी का थान।" मुझे...
ज़िंदगीइतनी सादा भी नहीं कि एक ब्लैक-एण्ड-वाइट टी-वी-सेट
بھاٹی دروازے کے باہر میں شاہدرہ جانے والی بس کا انتظار کر رہا تھا۔ رسالہ ’آثار قدیمہ‘ کے ایڈیٹر کا خرید کر دیا ہوا بلیک اینڈ وائٹ سگرٹوں کا ڈبہ میرے لمبے کوٹ کی جیب میں تھا اور ایک سگریٹ میرے داہنے ہاتھ کی انگلیوں میں سلگ رہا تھا۔ میں...
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