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नज़्म
शिकवा
तू ही कह दे कि उखाड़ा दर-ए-ख़ैबर किस ने
शहर क़ैसर का जो था उस को किया सर किस ने
अल्लामा इक़बाल
मर्सिया
ख़ुद फ़ितना ओ शर पढ़ रहे हैं फ़ातिहा-ए-ख़ैर
कहते हैं अनल-अब्द लरज़ कर सनम-ए-दैर
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
शेर
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
निदा फ़ाज़ली
नज़्म
दोस्ती का हाथ
जिएँ तमाम हसीनान-ए-ख़ैबर-ओ-लाहौर
जिएँ तमाम जवानान-ए-जन्नत-ए-कश्मीर
अली सरदार जाफ़री
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रेख़्ता शब्दकोश
KHaibar-shikan
ख़ैबर-शिकनخَیبَر شِکَن
Khaibar-breaking, allusion to a Fort near Medina, conquered by Ali
KHaibar-kushaa
ख़ैबर-कुशाخَیبَر کُشا
خیبر کو فتح کرنے والا ، حضرت علیؓ کا ایک لقب ، خِیبرشکن (رک)
shah-e-KHaibar
शह-ए-ख़ैबरشَہِ خَیبَر
ख़ैबर का बादशाह; अर्थात : हज़रत अली
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मर्सिया
हम तुम ये जानते थे कि सोती हैं फ़ातिमा
इस की ख़बर नहीं है कि रोती हैं फ़ातिमा
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
नज़्म
शहर इल्म के दरवाज़े पर
हकीम जाने वो कैसी हिकमत से आश्ना था
शजीअ जाने कि बदर ओ ख़ैबर की फ़त्ह-मंदी का राज़ क्या था
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
हवेली
बिजलियाँ जिस की कनीज़ें ज़लज़ले जिस के सफ़ीर
जिस का दिल ख़ैबर-शिकन जिस की नज़र अर्जुन का तीर