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नज़्म
इल्तिजा
आशोब-ए-जहाँ की देवी से यूँ आँख चुराऊँगा कब तक
जिस फ़र्ज़ को पूरा करना है वो फ़र्ज़ भुलाऊँगा कब तक
आमिर उस्मानी
नज़्म
क्लर्क का नग़्मा-ए-मोहब्बत
सब रात मिरी सपनों में गुज़र जाती है और मैं सोता हूँ
फिर सुब्ह की देवी आती है
मीराजी
नज़्म
हमेशा देर कर देता हूँ
उसे आवाज़ देनी हो उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
मुनीर नियाज़ी
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ग़ज़ल
ख़्वाब-सरा-ए-ज़ात में ज़िंदा एक तो सूरत ऐसी है
जैसे कोई देवी बैठी हो हुजरा-ए-राज़-ओ-नियाज़ में चुप