aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "bhatak"
भारत भूषण पन्त
1958 - 2019
शायर
कृष्ण मोहन
1922 - 2004
भगत सिंह
1907 - 1931
नसीम भरतपूरी
1861 - 1909
भारत चंद खन्ना
1912 - 1995
लेखक
भारत अंगारा
born.1993
भरत व्यास
1918 - 1982
अदनान आसिफ़ भट्टा
भगत मुंशी जवाला शंकर
हकीम भगत राम
भगत हरनाम दास
भारत भूषण
भारत सासणे
born.1951
जै भारत पब्लिशिंग हाउस, भोपाल
पर्काशक
एस. एस. भाटिया
भटक रही है ख़लाओं में ज़िंदगी मेरीइन्ही ख़लाओं में रह जाऊँगा कभी खो कर
सहरा सहरा भटक रहा हैअपने इश्क़ में सच्चा चाँद
कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रखतू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ
कहीं चाँद राहों में खो गया कहीं चाँदनी भी भटक गईमैं चराग़ वो भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गई
अपनी तलाश अपनी नज़र अपना तजरबारस्ता हो चाहे साफ़ भटक जाना चाहिए
भटकبھٹک
wander
Bharat Ki Lok Kathain
मोहम्मद क़ासिम सिद्दीक़ी
कहानी
तन्हाईयाँ कहती हैं
काव्य संग्रह
Bharat Ki Lok Kahaniyan
अननोन ऑथर
लोक कथाएँ
Bharat Ka Arthik Itihas
रमेश दत्त
Tareekh Musalmanan-e-Pakistan-o-Bharat
सय्यद हाशमी फ़रीदाबादी
इतिहास
Bharat Ka Aain
तरक़्क़ी उर्दू ब्यूरो, नई दिल्ली
संविधान / आईन
Baqiyat-e-Bharat Musafir
हकीम नन्द लाल
औषधि
Bharat Ke Musalman
शमीम फ़ैज़ी
भारत का इतिहास
Bharat Aaj Aur Kal
जवाहरलाल नेहरू
व्याख्यान
Bharat Mein Makhtootat Ki Fehristen
सय्यद आरिफ़ नवशाही
कैटलॉग / सूची
Be Chehragi
Bharat Puran
सरदार उमराव बहादुर
मेरे ख़्वाबों की सरज़मीन
रईस फ़ातमा
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Aaina-e-Bhatkal
मोहम्मद उस्मान
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैंतुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
तुम अपने पास बला लो बहुत उदास हूँ मैंभटक चुकी हूँ बहुत ज़िंदगी की राहों में
दिन में भटक रहे हैं जो मंज़िल की राह सेये लोग क्या करेंगे अगर रात हो गई
दिन में परियों की कोई कहानी न सुनजंगलों में मुसाफ़िर भटक जाएँगे
भटक रही थी जो कश्ती वो ग़र्क़-ए-आब हुईचढ़ा हुआ था जो दरिया उतर गया यारो
मैं राह से भटक गया तो क्या हुआचराग़ मेरे हाथ में तो था नहीं
कोई मंज़िल के क़रीब आ के भटक जाता हैकोई मंज़िल पे पहुँचता है भटक जाने से
ज़ुलेख़ा-ए-अज़ीज़ाँ बात ये हैभला घाटे का सौदा क्यों करें हम
तिरी आरज़ू तिरी जुस्तुजू में भटक रहा था गली गलीमिरी दास्ताँ तिरी ज़ुल्फ़ है जो बिखर बिखर के सँवर गई
ख़ुशबू से मेरा रब्त है जुगनू से मेरा कामकितना भटक गया हूँ मुझे मार दीजिए
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