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ग़ज़ल
अब भी उन यादों की ख़ुश्बू ज़ेहन में महफ़ूज़ है
बार-हा हम जिन से गुलज़ारों को महकाने गए
ख़ातिर ग़ज़नवी
नज़्म
सुर्ख़ सितारा
बर्फ़ जम जाएगी अफ़्कार के गुलज़ारों पर
यख़ हवाओं में ही जम जाएगी किश्त-ए-उम्मीद
आमिर उस्मानी
ग़ज़ल
गर अर्ज़-ओ-समा की महफ़िल में लौलाक-लमा का शोर न हो
ये रंग न हो गुलज़ारों में ये नूर न हो सय्यारों में
ज़फ़र अली ख़ाँ
नज़्म
वतन का राग
भारत की गुलज़ारों को सरसब्ज़ बनाती जाती हैं
खेतों को हरियाली देती फूल खिलाती जाती हैं
हामिदुल्लाह अफ़सर
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नज़्म
दर्द-ए-दिल
हर बरस रंग पे आता ही गया ये गुलज़ार
फूल तहज़ीब के खिलते गए मिटते गए ख़ार
चकबस्त बृज नारायण
ग़ज़ल
ये ज़मीं जिस पे है गुलज़ारों की तादाद बहुत
ये भी हो सकता है कल को वही मक़्तल हो जाए
असअ'द बदायुनी
नज़्म
तेरी याद
ले गए मुझ को कभी मिस्र के बाज़ारों में
कभी इटली कभी एस्पेन के गुलज़ारों में
जगन्नाथ आज़ाद
नज़्म
शायर-ए-दरमाँदा
मैं मिरे दोस्त मिरे सैकड़ों अरबाब-ए-वतन
यानी अफ़रंग के गुलज़ारों के फूल