aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jalaalii"
शकेब जलाली
1934 - 1966
शायर
हबीब जालिब
1928 - 1993
आरिफ़ जलाली
1928 - 2009
क़मर जलालवी
1887 - 1968
शकील जमाली
born.1958
जलाल लखनवी
1832 - 1909
अली अहमद जलीली
1921 - 2005
शायर जमाली
1943 - 2008
जमील जालिबी
1929 - 2019
लेखक
जलाल मानकपुरी
क़ासिम जलाल
रऊफ़ यासीन जलाली
born.1957
इफ़्तेख़ार जालिब
1936 - 2003
अब्दुल बारी आरिफ़ जमाली
फ़र्रुख़ जलाली
संपादक
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सकाहम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका
कोई भूला हुआ चेहरा नज़र आए शायदआईना ग़ौर से तू ने कभी देखा ही नहीं
आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज देतितलियाँ मंडला रही हैं काँच के गुल-दान पर
आ के पत्थर तो मिरे सहन में दो चार गिरेजितने उस पेड़ के फल थे पस-ए-दीवार गिरे
तू ने कहा न था कि मैं कश्ती पे बोझ हूँआँखों को अब न ढाँप मुझे डूबते भी देख
प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर। कम उम्र में आत्म हत्या की
जलालीجلالی
one with ferocious anger
जलालवाला, प्रतापवान्। |'जमाली' का उलटा, वह मंत्र, जाप या वजीफ़ा जिस में जान जाने का भय हो।
'जलाली'جلالیؔ
Pen name
ज़ुलालीزلالی
pure
Mirat-e-Jalali
ख़लील अहमद
Kulliyat-e-Shakeb Jalaali
कुल्लियात
Roshni Ai Roshni
काव्य संग्रह
Allama Iqbal Ki Azdawaji Zindagi
हाफ़िज़ सय्यद हामिद जलाली
शायरी तन्क़ीद
Shakeb Jalali
ज़ुल्फ़िक़ार अहसन
आलोचना
तारीख़-ए-अदब-ए-उर्दू
इतिहास
Anwar Jalali
सय्यद शाह मोहम्मद हुसैनी
Arasto Se Elliot Tak
Qarabadeen-e-Jalali
सय्यद जलालुद्दीन
तिब्ब-ए-यूनानी
The Akhlaq-e-Jalali
जलाल-उद-दीन दव्वानी
शिक्षाप्रद
Raushani Aye Raushani
जामि-उल-अख़्लाक़
मीरा जी एक मुताला
सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूहदेखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में
लोग देते रहे क्या क्या न दिलासे मुझ कोज़ख़्म गहरा ही सही ज़ख़्म है भर जाएगा
रहता था सामने तिरा चेहरा खुला हुआपढ़ता था मैं किताब यही हर क्लास में
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचलनशा शराब में होता तो नाचती बोतल
ये एक अब्र का टुकड़ा कहाँ कहाँ बरसेतमाम दश्त ही प्यासा दिखाई देता है
जहाँ तलक भी ये सहरा दिखाई देता हैमिरी तरह से अकेला दिखाई देता है
जाती है धूप उजले परों को समेट केज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के
मुझे गिरना है तो मैं अपने ही क़दमों में गिरूँजिस तरह साया-ए-दीवार पे दीवार गिरे
तू ही बरहना-पा नहीं इस जलती रेत परतलवों में जो हवा के हैं वो आबले भी देख
पहले तो मेरी याद से आई हया उन्हेंफिर आइने में चूम लिया अपने-आप को
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