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शकील जमाली

1958 | दिल्ली, भारत

संजीदा सोच के लोकप्रिय शायर।

संजीदा सोच के लोकप्रिय शायर।

शकील जमाली

ग़ज़ल 30

नज़्म 1

 

अशआर 23

अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता

वो देखो एक औरत रही है

झूट में शक की कम गुंजाइश हो सकती है

सच को जब चाहो झुठलाया जा सकता है

उम्र का एक और साल गया

वक़्त फिर हम पे ख़ाक डाल गया

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मैं ने हाथों से बुझाई है दहकती हुई आग

अपने बच्चे के खिलौने को बचाने के लिए

शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा

सो अपने रस्ते में धूप दीवार हो रही है

पुस्तकें 5

 

वीडियो 10

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

शकील जमाली

शकील जमाली

शकील जमाली

Shakil Jamali is a Poet from Delhi. He is reading his ghazals at a Nashist organized by Rekhta. शकील जमाली

शकील जमाली

Shakil Jamali is a Poet from Delhi. He is reading his ghazals at a Nashist organized by Rekhta. शकील जमाली

अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था

शकील जमाली

अश्क पीने के लिए ख़ाक उड़ाने के लिए

शकील जमाली

पेट की आग बुझाने का सबब कर रहे हैं

शकील जमाली

लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं

शकील जमाली

लोग कहते हैं कि इस खेल में सर जाते हैं

शकील जमाली

सब के होते हुए लगता है कि घर ख़ाली है

शकील जमाली

ऑडियो 9

अगर हमारे ही दिल में ठिकाना चाहिए था

अल्फ़ाज़ नर्म हो गए लहजे बदल गए

आ ही जाएगी सहर मतला-ए-इम्काँ तो खुला

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