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ग़ज़ल
मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं
इक आतिश-ए-ख़मोश हूँ जिस में धुआँ नहीं
हबीब अहमद सिद्दीक़ी
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विषय
क़ातिल
क़ातिल शायरी
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ग़ज़ल
दिल को हम ने माइल-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ रहने दिया
ज़िंदगी को वक़्फ़-ए-आलाम-ए-जहाँ रहने दिया
नासिर अंसारी
ग़ज़ल
ख़त्म जिस दिन शोरिश-ए-आह-ओ-फ़ुग़ाँ हो जाएगी
ज़िंदगी इंसान पर बार-ए-गराँ हो जाएगी
मसूद मैकश मुरादाबादी
ग़ज़ल
देखो तो मेरे नाला-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ की ओर
बान इस कड़क से जावे है कब आसमाँ की ओर