aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

सब्र पर शेर

शायरी में सब्र आशिक़

का सब्र है जो तवील बहर को विसाल की एक मौहूम सी उम्मीद पर गुज़ार रहा होता है और माशूक़ उस के सब्र का बराबर इम्तिहान लेता रहता है। ये अशआर आशिक़ और माशूक़ के किर्दार की दिल-चस्प जेहतों का इज़हारिया हैं।

रोने वाले तुझे रोने का सलीक़ा ही नहीं

अश्क पीने के लिए हैं कि बहाने के लिए

आनंद नारायण मुल्ला

आगही कर्ब वफ़ा सब्र तमन्ना एहसास

मेरे ही सीने में उतरे हैं ये ख़ंजर सारे

बशीर फ़ारूक़ी

वहाँ से है मिरी हिम्मत की इब्तिदा वल्लाह

जो इंतिहा है तिरे सब्र आज़माने की

जोश मलीहाबादी

हर-चंद तुझे सब्र नहीं दर्द व-लेकिन

इतना भी मिलियो कि वो बदनाम बहुत हो

ख़्वाजा मीर दर्द

बहुत कम बोलना अब कर दिया है

कई मौक़ों पे ग़ुस्सा भी पिया है

शम्स तबरेज़ी

ऐसी प्यास और ऐसा सब्र

दरिया पानी पानी है

विकास शर्मा राज़

चारा-ए-दिल सिवाए सब्र नहीं

सो तुम्हारे सिवा नहीं होता

मोमिन ख़ाँ मोमिन

सब्र जाए इस की क्या उम्मीद

मैं वही, दिल वही है तू है वही

जलील मानिकपूरी

सब्र दिल कि ये हालत नहीं देखी जाती

ठहर दर्द कि अब ज़ब्त का यारा रहा

हबीब अशअर देहलवी

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए