दोस्त शायरी
शायरी, या ये कहा जाए कि अच्छा तख़्लीक़ी अदब हम को हमारे आम तजर्बात और तसव्वुरात से अलग एक नई दुनिया में ले जाता है वह हमें रोज़ मर्रा की ज़िंदगी से अलग होते हैं। क्या आप दोस्त और दोस्ती के बारे में उन बातों से वाक़िफ़ है जिन को ये शायरी मौज़ू बनाती है? दोस्त, उस की फ़ित्रत उस के जज़्बात और इरादों का ये शेरी बयानिया आप के लिए हैरानी का बाइस होगा। इसे पढ़िए और अपने आस पास फैले हुए दोस्तों को नए सिरे से देखना शुरू कीजिए।
या वफ़ा ही न थी ज़माने में
या मगर दोस्तों ने की ही नहीं
जिस बज़्म में साग़र हो न सहबा हो न ख़ुम हो
रिंदों को तसल्ली है कि उस बज़्म में तुम हो
दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में
जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते हैं
ये दिल लगाने में मैं ने मज़ा उठाया है
मिला न दोस्त तो दुश्मन से इत्तिहाद किया
ज़मानों बा'द मिले हैं तो कैसे मुँह फेरूँ
मिरे लिए तो पुरानी शराब हैं मिरे दोस्त
ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था
क़ाइल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था
दोस्त दिल रखने को करते हैं बहाने क्या क्या
रोज़ झूटी ख़बर-ए-वस्ल सुना जाते हैं
सच कहते हैं कि नाम मोहब्बत का है बड़ा
उल्फ़त जता के दोस्त को दुश्मन बना लिया
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ
दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों को
दोस्तो अपने तअ'ल्लुक़ को सँवारा जाए
पत्थर तो हज़ारों ने मारे थे मुझे लेकिन
जो दिल पे लगा आ कर इक दोस्त ने मारा है
यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से
friendship is commonplace my dear
but friends are hard to find I fear
हम को अग़्यार का गिला क्या है
ज़ख़्म खाएँ हैं हम ने यारों से
why should enemies be my reason to complain
when at the hands of friends, I have suffered pain
आ गया 'जौहर' अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं
बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं
मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले
बहुत ज़ख़ीम किताबों से चुन के लाया हूँ
इन्हें पढ़ो वरक़-ए-इंतिख़ाब हैं मिरे दोस्त
दोस्त ने दिल को तोड़ के नक़्श-ए-वफ़ा मिटा दिया
समझे थे हम जिसे ख़लील काबा उसी ने ढा दिया
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब
मेरा अपना ही भला हो मुझे मंज़ूर नहीं
may my friends too receive this wealth of pain
I cannot envisage my solitary gain
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं
दोस्तों की मेहरबानी चाहिए
my heartbreak's not complete, it pends
I need some favours from my friends
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
bear enmity with all your might, but this we should decide
if ever we be friends again, we are not mortified
देखा जो खा के तीर कमीं-गाह की तरफ़
अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गई
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दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं
I do nor fear injury from my enemies
what frightens me is my friend's fidelities
दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैं
कोई दुश्मन भी तिरा है कि नहीं
इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले
पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलते
न जाने कौन कहाँ दिल लगा के बैठ गया
दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
'अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ
सब के सब दोस्त हैं दुश्मन की तरफ़
दोस्तों से मुलाक़ात की शाम है
ये सज़ा काट कर अपने घर जाऊँगा
तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़'
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला
अपने बेगाने से अब मुझ को शिकायत न रही
दुश्मनी कर के मिरे दोस्त ने मारा मुझ को
ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमाँ क्यूँ हो
Is this trouble not enough, to ruin one what else should be
If you are someone's friend then why needs heaven be his enemy
दिन एक सितम एक सितम रात करो हो
वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो
तेरी बातें ही सुनाने आए
दोस्त भी दिल ही दुखाने आए
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
तरतीब दे रहा था मैं फ़हरिस्त-ए-दुश्मनान
यारों ने इतनी बात पे ख़ंजर उठा लिया
बहुत छोटे हैं मुझ से मेरे दुश्मन
जो मेरा दोस्त है मुझ से बड़ा है
जुज़ तिरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे
तू कहाँ है मगर ऐ दोस्त पुराने मेरे
दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला
वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं
देखना है खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन
याद करने पे भी दोस्त आए न याद
दोस्तों के करम याद आते रहे
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे
My companion, my intimate, be not a friend and yet betray
The pain of love is fatal now, for my life please do not pray