ऐब शायरी
हमारे ऐब ने बे-ऐब कर दिया हम को
यही हुनर है कि कोई हुनर नहीं आता
न थी हाल की जब हमें अपने ख़बर रहे देखते औरों के ऐब ओ हुनर
पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नज़र तो निगाह में कोई बुरा न रहा
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टैग्ज़ : प्रेरणादायकऔर 1 अन्य
दोस्त हर ऐब छुपा लेते हैं
कोई दुश्मन भी तिरा है कि नहीं
हम को आपस में मोहब्बत नहीं करने देते
इक यही ऐब है इस शहर के दानाओं में
सब की तरह तू ने भी मिरे ऐब निकाले
तू ने भी ख़ुदाया मिरी निय्यत नहीं देखी
इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फ़राग़'
जब ख़ुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा
हमारे ऐब में जिस से मदद मिले हम को
हमें है आज कल ऐसे किसी हुनर की तलाश
तेशा-ब-कफ़ को आइना-गर कह दिया गया
जो ऐब था उसे भी हुनर कह दिया गया
'क़ाएम' मैं इख़्तियार किया शाइ'री का ऐब
पहुँचा न कोई शख़्स जब अपने हुनर तलक