join rekhta family!
ग़ज़ल 87
शेर 89
क़िस्मत तो देख टूटी है जा कर कहाँ कमंद
कुछ दूर अपने हाथ से जब बाम रह गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
किस बात पर तिरी मैं करूँ ए'तिबार हाए
इक़रार यक तरफ़ है तो इंकार यक तरफ़
what should I believe of what you say to me
on one hand you refuse on the other you agree
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए