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पुस्तकें 30
चित्र शायरी 20
मेरे हम-नफ़स मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दग़ा न दे मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी इसी रौशनी से है ज़िंदगी मुझे डर है ऐ मिरे चारा-गर ये चराग़ तू ही बुझा न दे मुझे छोड़ दे मिरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारा-गर ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मिरा दर्द और बढ़ा न दे मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराए शो'लों का डर नहीं मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है ये कहीं चमन को जला न दे वो उठे हैं ले के ख़ुम-ओ-सुबू अरे ओ 'शकील' कहाँ है तू तिरा जाम लेने को बज़्म में कोई और हाथ बढ़ा न दे
वीडियो 39
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