aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "naasir"
नासिर काज़मी
1925 - 1972
शायर
नसीर तुराबी
1945 - 2021
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
1949 - 2009
हकीम नासिर
1947 - 2007
शाह नसीर
1756 - 1838
नासिर शहज़ाद
1937 - 2007
नसीर अहमद नासिर
born.1954
अशफ़ाक़ नासिर
नासिर ज़ैदी
1943 - 2020
नसीर बलोच
1956 - 2021
मोहम्मद मुस्तहसन जामी
born.1994
नासिर अमरोहवी
born.1985
जावेद नासिर
1949 - 2006
नज़ीर अकबराबादी
1735 - 1830
हसन नासिर
1943 - 2004
बैठ कर साया-ए-गुल में 'नासिर'हम बहुत रोए वो जब याद आया
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
अजीब होती है राह-ए-सुख़न भी देख 'नसीर'वहाँ भी आ गए आख़िर, जहाँ रसाई न थी
आज देखा है तुझ को देर के बअ'दआज का दिन गुज़र न जाए कहीं
पी जा अय्याम की तल्ख़ी को भी हँस कर 'नासिर'ग़म को सहने में भी क़ुदरत ने मज़ा रक्खा है
नासिर काज़मी का जन्म 1923 को अंबाला में हुआ, इन्हें उर्दू की आधुनिक शायरी का एक सुतून कहा जाता है। इश्क़ और मोहब्बत उन की शायरी मुख्य विषय हैं, उन्हों ने अपनी कविता में बटवारे के दुख दर्द को समो लिया है। छोटी छोटी बहरों और सादा लफ़्ज़ों में सजी हुई उन की ग़ज़लें अवाम की याददाश्त का हिस्सा हैं। उन की ग़ज़लों को तमाम बड़े गुलूकारों गाया हुआ है।
शायरी नज़ीर अकबराबादी के लिए जीवन जीने का एक तरीका था। उन्होंने धार्मिक विश्वासों की उदार समझ विकसित की और रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों, सामाजिक तौर-तरीकों और शिष्टाचार पर विस्तार से लिखा। हमने आपके लिए होली पर उनकी बहुचर्चित नज़्मों का चयन किया है।
मीर तक़ी ' मीर ' के समकालीन अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज्में लिखीं। होली , दीवाली , श्रीकृष्ण पर नज़्मों के लिए मशहूर .
नासिरناصر
a helper, ally
पोषक, हिमायती।।
नाशिरناشر
publisher
प्रसारक, सबमें फैलानेवाला, प्रकाशक, पब्लिशर । ।
'नासिर'ناصرؔ
pen name
'नाशिर'ناشرؔ
Deccan Mein Urdu
नसीरुद्दीन हाश्मी
इतिहास
Kulliyat-e-Nasir Kazmi
कुल्लियात
Pahli Barish
ग़ज़ल
Urdu Lisaniyat
नसीर अहमद ख़ाँ
भाषा विज्ञान
Urdu Sakht Ke Buniyadi Anasir
दीवान-ए-नासिर काज़मी
दीवान
Barg-e-Nai
काव्य संग्रह
Tareekh-e-Balochistan
मीर गुर खान नसीर
Woh Tera Shair Woh Tera Nasir
हसन रिज़वी
Nasir Kazmi : Shakhsiyat Aur Fan
नाहीद क़ासमी
मज़ामीन / लेख
लिसानियात और तन्क़ीद
नासिर अब्बास नय्यर
आलोचना
Nasir Kazmi Ki Shairi
हामिदि कशमीरी
शायरी तन्क़ीद
Islami Saqafat
शोध
आओ कुछ देर रो ही लें 'नासिर'फिर ये दरिया उतर न जाए कहीं
वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर'ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूदमहसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
किसे नसीब कि बे-पैरहन उसे देखेकभी कभी दर ओ दीवार घर के देखते हैं
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों काजो पिछली रात से याद आ रहा है
मुद्दत से कोई आया न गया सुनसान पड़ी है घर की फ़ज़ाइन ख़ाली कमरों में 'नासिर' अब शम्अ जलाऊँ किस के लिए
आरज़ू है कि तू यहाँ आएऔर फिर उम्र भर न जाए कहीं
अपनी धुन में रहता हूँमैं भी तेरे जैसा हूँ
है नसीम-ए-बहार गर्द-आलूदख़ाक उड़ती है उस मकान में क्या
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगरतू ने वादा किया था याद तो कर
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