aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ve"
वेद प्रकाश मालिक सरशार
1947 - 2004
शायर
वेद राही
born.1933
वी. सुधाकर राव
लेखक
जॉर्ज डब्लू.एम्. रेनॉल्ड्स
1814 - 1879
फ़्रांसेस डब्ल्यू प्रीचेट
born.1947
कलाकार
वी. सी. राय नया
born.1941
डब्ल्यू. एच. मोरलैंड
मतबा अहल-ए-सुन्नत व जमाअत, बरैली
पर्काशक
एदारा अहल-ए-सुन्नत व जमात, हैदराबाद
इदारा फ़न व शख़्सियत, मुंबई
एन. डब्ल्यू. गोडिन
वी.सी. राय
कुसुमाग्रज
1912 - 1999
वी. बार्तोल्ड
1869 - 1930
आर. वी. चन्द्र औदन
वो सर्व-क़द है मगर बे-गुल-ए-मुराद नहींकि उस शजर पे शगूफ़े समर के देखते हैं
वो मिले तो ये पूछना है मुझेअब भी हूँ मैं तिरी अमान में क्या
आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों परक्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें
ख़त ऐसा लिखा है कि नगीने से जड़े हैंवो हाथ कि जिस ने कोई ज़ेवर नहीं देखा
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
रबीन्द्रनाथ टैगोर पर कही गई चंद बेहतरीन उर्दू नज़्में
ख़ुदा-ए-सुख़न कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर उर्दू अदब का वो रौशन सितारा हैं, जिन्होंने नस्ल-दर-नस्ल शायरों को मुतास्सिर किया. यहाँ उनकी ज़मीन पर लिखी गई चन्द ग़ज़लें दी जा रही हैं, जो मुख़्तलिफ़ शायरों ने उन्हें खिराज पेश करते हुए कही.
२०२२ ख़त्म हुआ आप लोगों ने उर्दू ज़बान-ओ -अदब और शाइरी से भरपूर मुहब्बत का इज़हार किया है । इस कलेक्शन में हम उन 10 नज़्मों को पेश कर रहे हैं जो रेख़्ता पर सबसे ज़्यादा पढ़ी गईं हैं।
वेوے
they
वाوا
to open/ to tell
खुला
open, again, expression of pain, expose
वाएواے
alas, expression of pain, ah! oh!
अफ़्सोस, हाय अफ़सोस
हाय हाय, हाय वाय ।
वोوو
that, he, they
Shikwa wa Jawab-e-Shikwa
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
Islah-e-Talaffuz Wa Imla
तालिब अल-हाश्मी
भाषा
वो जो शाइरी का सबब हुआ
कलीम आजिज़
काव्य संग्रह
Adabi wa Lisani Tehqeeq aur Taqabuli Adab
अबदुस्सत्तार दलवी
अायुर्वेदिक फ़ार्मा कोपिया
कोयराज वेद प्रकाश
आयुर्वेद
Urdu Asaleeb-e-Nasr: Tareekh Wa Tajziya
अमीरुल्लाह ख़ाँ शाहीन
शोध एवं समीक्षा
Fan-e-Khattati Wa Makhtoota Shanasi
फ़ज़लुल हक़
सुलेखन
उर्दू मेटर
महिलाओं की रचनाएँ
Sharh Shikwa Jawab-e-Shikwa
Mukhtasar Tareekh-e-Jammu wa Kashmir
मौलवी मोहम्म्द हस्मतूल्लाह
इतिहास
Khusbudar Tel Wa Itr Banana
पंडित वेद प्रकाश शर्मा
Ayurvedic Pharmacopoeia
Muhammad Iqbal Shikwa Wo Jawab-i-Shikwa
शाइरी
Altaf Husain Hali Tahqiqi Wa Tanqidi Jaize
प्रो. नज़ीर अहमद
मज़ामीन / लेख
Makhzan-e-Hikmat Ghar Ka Doctor Wa Hakeem)
ग़ुलाम जीलानी ख़ान
तिब्ब-ए-यूनानी
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
सुना दें इस्मत-ए-मरियम का क़िस्सापर अब इस बाब को वा क्यों करें हम
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनामवो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
जिन के लिए अपने तो यूँ जान निकलते हैंइस राह में वे जैसे अंजान निकलते हैं
मजनूँ न दश्त में है न फ़रहाद कोह मेंथा जिन से लुत्फ़-ए-ज़िंदगी वे यार मर गए
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगेजाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे
हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ारया इलाही ये माजरा क्या है
मय-ख़ाना वो मंज़र है कि हर सुब्ह जहाँ शैख़दीवार पे ख़ुर्शीद का मस्ती से सर आवे
सूरत-पज़ीर हम बिन हरगिज़ नहीं वे मानेअहल-ए-नज़र हमीं को मा'बूद जानते हैं
वे सूरतें इलाही किस मुल्क बस्तियाँ हैंअब देखने को जिन के आँखें तरसतियाँ हैं
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