aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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Hami Gorakhpuri
Author
Mohammad Jalaluddin Husami Kamil
Mohammad Hameeduddin Husami
Ahmaduddeen Husami
Pandit Bishan Narayan Hami
Syed Abbas Hami
Faiyaz Ahmad Husami
Editor
Mohammad Hamiuddin
Translator
Husami Kardavi
Sayyad Nasrullah Hisami
Syed Qudratullah Husami
Ibrahim Hami
Hami Buldanwi
Habeeb Ahmad Hami Narwi
Matba Hami-e-Hind, Kanpur
Publisher
hai in kii be-hisii me.n to muqaddas-tar haraamii-panmagar aaha.ng meraa kho gayaa shaayad kahaa.n jaane
ye haraamii hai.n Gariibo.n ke raqiibhai.n mulaazim sab ke sab sakaariyaa.n
वो आगे बढ़ जाते हैं। अंधेरा बढ़ जाता है। फिर चंद लोग रुकते हैं। कोई मुझ से पूछ रहा है... “तुम कौन हो?”...
de rahe hai.n jis ko topo.n kii salaamii aadmiikyaa kahuu.n tum se ki hai kitnaa haraamii aadmii
“तुम कुफ़्र बक रहे हो, मज़हब की तौहीन...” “अरे जाईये बड़े मज़हब वाले आए, मज़हब की बस एक ही बात दिल पर नक़्श है।”...
हरामीحرامی
Bastard
दोग़ला, जारज, संकर।।
Hareemi Dastarkhwan
Idara Hareem, Lucknow
Dastarkhwan
Halal-o-Haram Parinde Aur Unke Tibbi Fawaid
Saleem Ahmad
Medicine
Halal-o-Haram Chaupaye Aur Unke Tibbi Fawaid
Darbar-e-Haram Pur
Abdul Halim Sharar
Novel
Darbar-e-Harampur
Social
Tablighi Filmein
Islamiyat
Aadab-e-Sehat Wa Pakeezgi
Bint-e-Haram
Muneeruddin Ahmad
Short-story
Shumara Number-000
Hakeem Mirza Mohammad Shafi
Oct 1926Hami-us-Sehat
Shumara Number-009
Hakeem Mirza Imamuddin
Jul 1928Hami-us-Sehat
Unknown Editor
Hami-us-Sehat
Shumara Number-010
Aug 1928Hami-us-Sehat
Shumara Number-002,003
Syed Shah Husain Zaheer
Apr 1967Hami-ush-Shifa
Shumara Number-005
Jul 1966Hami-ush-Shifa
Shakh-e-Zaitoon
Majmua
ये तो एक अफ़साना निगार के तअस्सुरात में जो छोटे से तिल में संग-ए-अस्वद की तमाम सख़्तियां बयान कर सकता है। आप ढूंढ़ो की ज़बानी सिराज के मुतअ’ल्लिक़ सुनिए उसने मुझसे एक दिन कहा, “मंटो साहब, आज साली ने फिर टंटा कर दिया। वो तो जाने किस दिन का सवाब...
मगर मैं मम्दू को नहीं जानता। मुझे सिर्फ़ इस क़दर इल्म है कि मम्दू बासौदे में रहता था और डागदरों ने उसके गाल में खिड़की बना दी थी और उस खिड़की के पट मरयम की जन्नत में खुलते थे, और मैं ये भी जानता हूँ कि जब मरयम बड़े सोज़...
“नहीं बुआ। वो सोच रहे हैं कि ये कमबख़्त कहीं फिर...” “ओह...”...
“मौत आए हरामी पिल्ले को। उसे क्या ख़बर होगी।” “ये भी ठीक कहती हो। भला तुम्हारे शौहर को तुम्हारी शादी की क्या ख़बर होगी,” मैंने सोचा। “मगर तुम्हारी शादी के चर्चे अख़बारों में होंगे। आख़िर इतनी बड़ी फ़िल्म स्टार हो।”...
सलुलाइड की ये दुनिया बड़ी निराली है। यहां धूप छाओं की सी कैफ़ियत रहती है। जिन दिनों की मैं बात कर रहा हूँ, एक ही दिन में कई वारदातें हुईं। एक ऐक्ट्रस अपने शौहर को छोड़कर किसी और के साथ भाग गई, पति देव साहब जिससे मिलते उसके सामने अपनी...
अगर उसकी बीवी उसे पकड़ कर वापस न बिठा लेती तो न जाने वो कब तक उस कार्रवाई में लगा रहता। जब गाड़ी चली तो अब्दुल-करीम ने बड़े इन्हिमाक के साथ उसके पहियों की गड़गड़ाहट को सुना।...
मेहतरानी तो भरी ही बैठी थी फूट पड़ी... “क्या करूँ बेगम साहब हरामख़ोर को चार चोट की मार भई दी मैं तो। रोटी भी खाने को न दिये। पर राँड मेरे तो बस की नहीं।” “अरे रोटी की क्या कमी है उसे” बावर्चन ने अँटा फेंका। सहारनपुर की ख़ानदानी बावर्चन...
“मुझे बहुत अफ़सोस है कि मैंने आप जैसे बुलंद अख़लाक़ इंसान को बुरा भला कहा। गालियां दीं... दरअसल... दरअसल मैंने ये सब कुछ बहुत जल्दबाज़ी में क्या। सोचे समझे बग़ैर। मुझे उकसाया गया था, मैं अपने किए पर नादिम हूँ और मुझे उमीद है कि आप मुझे माफ़ फ़रमा देंगे।...
“बाप भी हरामी होते हैं...” बॉक्स एल 476 में चिट्ठियों का तूमार आया पड़ा था। उसमें एक ऐसी चिट्ठी भी चली आयी थी, जिसमें केरल की किसी लड़की मिस ऊनी कृष्णन ने लिखा था कि वो अबूधाबी में एक नर्स का काम करती रही है और उसके एक बच्चा है।...
“अरी मरती क्यों नहीं,” नानी ने थोड़ी देर बाद उसे सहन में खट-पट करते सुन कर कहा। समझी ख़ानगी ने अब आँगन भी पलीद करना शुरू किया। कौन हरामी है जिसे आज घर में घुसा लाई है। पर सहन में घूर-घूर कर देखने पर नानी सहम कर रह गई। नन्ही...
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