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ग़ज़ल
आशुफ़्ता-सर हैं मुहतसिबो मुँह न आइयो
सर बेच दें तो फ़िक्र-ए-दिल-ओ-जाँ अदू करें
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी
फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
आइयो ऐ अश्क अब बहने लगा है ख़ून-ए-गर्म
भेजियो पानी कि आतिश-बार आँखें हो गईं
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर
ग़ज़ल
बुलबुल न बाज़ आइयो फ़रियाद-ओ-आह से
कब तक न होगी क़ल्ब-ए-गुल-ए-तर को इत्तिलाअ
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
बच जाइयों कम्बख़्त मिरी बख़्त-ए-सियह से
याँ आइयो तो ऐ शब-ए-हिज्रान समझ कर
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
ग़ज़ल
कहते हो रोज़ हम से यही कल को आइयो
क्या ख़ू निकाली है ये सताते हो हम को क्या