aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ".nahk"
फ़रहाद भी जो इक नहर सी खोद के लाया हैसब माया है
तुम नाहक़ टुकड़े चुन चुन करदामन में छुपाए बैठे हो
''वो नाक की नथ न बेचना तुमवो झूटा मोती है, तुम से सच्चा कहा था मैं ने,
इसी सियाही में रूनुमा हैवो नहर-ए-ख़ूँ जो मिरी सदा है
अब जिस नर्क में जाओ वहाँ सेचिट्ठी-विट्ठी डालते रहना
तो मैं कहता हूँ के लो आज नहा कर निकला!वर्ना इस घर में कोई सेज नहीं इत्र नहीं है
जितने मज़े हैं सब ये दिखाती हैं रोटियाँरोटी से जिस का नाक तलक पेट है भरा
तन में लहू का नाम नहीं ज़र्द रंग हैगोया बशर नहीं कोई तस्वीर-ए-संग है
जाने किस दौर-ए-अलम-नाक से ले कर अब तकतू कड़े वक़्त के ज़िंदानों में ख़्वाबीदा है
चमड़ी छिलने लगती हैनाक में ख़ून की कच्ची बू
हर एक चीज़ की वो ख़्वाब-नाक अस्लिय्यतमिरे शुऊर की चिलमन से झाँकता था कोई
चाँदनी और ये महल आलम-ए-हैरत की क़समदूध की नहर में जिस तरह उबाल आ जाए
गुलज़ार भीगते हैं सब्ज़े नहा रहे हैंक्या क्या मची हैं यारो बरसात की बहारें
उस की नाक पकोड़ी सीनोकीली सी चौड़ी सी
मुझे नवम्बर की धूप की तरह मत चाहोकि इस में डूबो तो तमाज़त में नहा जाओ
वो रू-ए-रंगीं ओ माैजा-ए-यम, कि जैसे दामान-ए-गुल पे शबनमये गरमी-ए-हुस्न का है आलम, अरक़ अरक़ में नहा रहे हैं
दाम इक छोटे से कूज़े के हैं सौ जाम-ए-बिलूरमोल लेने जाएँ इक क़तरा तो दें नहर-ओ-क़ुसूर
क्या क्या नहीं सिखायायूँ हौसला बढ़ाया
मुझे तुम से नाहक़ लड़ाया गया हैमैं आदम का बेटा हूँ और जानता हूँ
अश्कों की बहती नहर मेंगुलनार चेहरे नम किए
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