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नज़्म
कनार अज़ ज़ाहिदाँ बर-गीर ओ बेबाकाना साग़र-कश
पस अज़ मुद्दत अज़ीं शाख़-ए-कुहन बाँग-ए-हज़ार आमद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ता-तराशी ख़्वाजा-ए-अज़-बरहमन काफ़िर तिरी
है वही साज़-ए-कुहन मग़रिब का जम्हूरी निज़ाम
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ख़ज़ीना हूँ छुपाया मुझ को मुश्त-ए-ख़ाक-ए-सहरा ने
किसी को क्या ख़बर है मैं कहाँ हूँ किस की दौलत हूँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हर आन यहाँ सहबा-ए-कुहन इक साग़र-ए-नौ में ढलती है
कलियों से हुस्न टपकता है फूलों से जवानी उबलती है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
इक दफ़्तर-ए-मज़ालिम-ए-चर्ख़-ए-कुहन खुला
वा था दहान-ए-ज़ख़्म कि बाब-ए-सुख़न खुला
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
तेरी 'उम्र-ए-रफ़्ता की इक आन है अहद-ए-कुहन
वादियों में हैं तिरी काली घटाएँ ख़ेमा-ज़न
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अभी हर दुश्मन-ए-नज़्म-ए-कुहन के गीत गाना है
अभी हर लश्कर-ए-ज़ुल्मत-शिकन के गीत गाना है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
शराब-ए-नौ की मस्तियाँ, कि अल-हफ़ीज़-ओ-अल-अमाँ
मगर वो इक लतीफ़ सा सुरूर-ए-बादा-ए-कुहन
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
अपने सुक्कान-ए-कुहन की ख़ाक का दिल-दादा है
कोह के सर पर मिसाल-ए-पासबाँ इस्तादा है