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नज़्म
तिरी फ़ितरत अमीं है मुम्किनात-ए-ज़िंदगानी की
जहाँ के जौहर-ए-मुज़्मर का गोया इम्तिहाँ तो है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
घर-बार अटारी चौपारी क्या ख़ासा नैन-सुख और मलमल
चलवन पर्दे फ़र्श नए क्या लाल पलंग और रंग-महल
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
ने मजाल-ए-शिकवा है ने ताक़त-ए-गुफ़्तार है
ज़िंदगानी क्या है इक तोक़-ए-गुलू-अफ़्शार है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़िंदगी मुज़्मर है तेरी शोख़ी-ए-तहरीर में
ताब-ए-गोयाई से जुम्बिश है लब-ए-तस्वीर में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कहते थे कि पिन्हाँ है तसव्वुफ़ में शरीअत
जिस तरह कि अल्फ़ाज़ में मुज़्मर हों मआनी