Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बारिदा शिमाली

सआदत हसन मंटो

बारिदा शिमाली

सआदत हसन मंटो

MORE BYसआदत हसन मंटो

    स्टोरीलाइन

    प्रतीकों के माध्यम से कही गई यह कहानी दो लड़कियों के गिर्द घूमती हैं। वे दोनों पक्की सहेलियाँ थीं। उन्होंने एक साथ ही अपने जीवन साथी भी चुने थे। दोनों की ज़िंदगी हँसी-ख़ुशी गुज़र रही थी कि अचानक उन्हें एहसास होने लगता है कि उनके जीवन साथी उनके लिए सही नहीं हैं। फिर एक इत्तिफ़ाक़़ के चलते उनके जीवन साथी एक-दूसरे से बदल जाते हैं। इस बदलाव के बाद उन्हें महसूस होता है कि अब वे सही जीवन साथी के साथ हैं।

    दो गॉगल्स आईं। तीन बुशशर्टों ने उनका इस्तक़बाल किया। बुशशर्टें दुनिया के नक़्शे बनी हुई थीं, उन पर परिंदे, चरिंदे, दरिंदे, फूल बूटे और कई मुल्कों की शक्लें बनी हुई थीं।

    दोनों गॉगल्स ने अपनी किताबें मेज़ पर रखीं। अपने डस्ट कवर उतारे और बुशशर्टों के बटन बन गईं।

    एक गूगल ने इस बुशशर्ट से जो ख़ालिस अमरीकी थी, कहा, “आपका लिबास बड़ा वाहियात है।”

    वो बुशशर्ट हंसा, “तुम्हारे गॉगल्स बड़े वाहियात हैं। उसे लगा कर तुम ऐसी दिखाई देती हो जैसे रोशन दिन अंधेरी रात बन गया है।”

    उस अंधेरी रात ने उस बुशशर्ट से कहा, “मैं तो चांदनी रात हूँ।”

    अमरीकी बुशशर्ट ने उसको एक कोह हिमाला पेश किया जो बहुत ठंडा और मीठा था।

    उसने चम्मच से उस कोह हिमाला को सर कर लिया। लेकिन इस मुहिम के दौरान में उसको बड़ी कोफ़्त हुई... वो बर्फ़ों की आदी नहीं थी। वो मजबूरन अपनी सहेली दूसरी गॉगल्स के साथ आगई थी कि वहां उसका चहेता बुशशर्ट मिल गया।

    दूसरी गॉगल्स अपने बुशशर्ट से अ’लाहिदा बातें कर रही थी।

    “आज तुम इतनी हसीन क्यों दिखाई दे रही हो?”

    “मुझे क्या मालूम?”

    “अपनी चिक़ें उतार दो।”

    “क्यों?”

    “मुझे तुम्हारी आँखें नज़र नहीं आतीं।”

    “मेरा दिल तो तुम्हें नज़र आरहा होगा।”

    “नज़र आता रहा है... नज़र आता रहेगा, लेकिन मुझे तुम्हारी आँखों पर ये ग़िलाफ़ पसंद नहीं।”

    “तेज़ रोशनी मुझे पसंद नहीं।”

    “क्यों?”

    “बस नहीं, तुम्हारी बुशशर्ट भी मुझे पसंद नहीं।”

    “क्यों?”

    “इसलिए कि इसका डिज़ाइन बहुत बेहूदा है, ऐसा मालूम होता है कि आइसक्रीम में कीड़े मकोड़े चल रहे हैं।”

    “तुम खा तो चुकी हो।”

    “मैंने तो सिर्फ़ चखी है, खाई कब है?”

    “आप बारिदा शिमाली में सिर्फ़ आइसक्रीम चखने के लिए ही आती हैं?”

    “आप मजबूर करते हैं तो मैं आती हूँ, वर्ना मुझे उस जगह से कोई रग़बत नहीं।”

    “मैं ये चाहता था कि हम दोनों मिल कर कोई मुहिम सर करें।”

    “कौन सी मुहिम?”

    “बेशुमार मुहिमें हैं, लेकिन एक सबसे बड़ी है।”

    “कौन सी?”

    “किसी आतिंश फ़िशां पहाड़ के अंदर कूद जाएं और वहां के हालात मालूम करें।”

    “मैं तैयार हूँ, लेकिन फिर मैं यहां आकर आइसक्रीम ज़रूर खाऊंगी।”

    “मैं ख़िलाऊँगा तुम्हें।”

    दोनों बाँहों में बाँहें डाले एक ऐसी दोज़ख़ में चले गए जो आहिस्ता आहिस्ता ठंडी होती गई। इस गॉगल्स की सारी किताबें उस बुशशर्ट की लाइब्रेरी में दाख़िल हो गईं।

    दूसरी गॉगल्स ने अपनी बुशशर्ट को अपने ब्लाउज़ की सारी किताबें पढ़ाईं मगर उसकी समझ में आईं, ऐसा मालूम होता था कि वो बुशशर्ट किसी घटिया क़िस्म के दर्ज़ी की सिली हुई है।

    उसने बारिदा शिमाली में उससे कहा, “तुम आइसक्रीम खाया करो। हम आइन्दा ‘आतिशीं हाउस’ में जाया करेंगे।”

    दूसरी गॉगल्स गलगबाने लगी। इस गलगाहट में उसने अपनी बुशशर्ट के काज बनाने शुरू कर दिए और इनमें कई फूल टांक दिए।

    ये बुशशर्ट घटिया क़िस्म के दर्ज़ी की सिली हुई नहीं थी, असल में उसका कपड़ा खुर्दरा था, जैसे टाट हो, इसमें दूसरी गॉगल्स ने अपनी मख़मल के कई पैवंद लगाए, मगर ख़ातिर-ख़्वाह नतीजा बरामद हुआ।

    वो ‘आतिशीं हाउस’ में भी कई मर्तबा गए, वहां उन्होंने कई गिलास पिघली हुई आग के पिए। मगर कोई तस्कीन हुई।

    दूसरी गॉगल्स हैरान थी कि उसका बुशशर्ट जिसके लिए उसने अपने ब्लाउज़ के तमाम बख़िए उधेड़ दिए, उससे मुल्तफ़ित क्यों नहीं होता। वो उसकी हर सिलवट से प्यार करती थी। लेकिन वो बारिदा शिमाली में और ‘आतिशीं हाउस’ में उसके ख़ूबसूरत फ़्रेम से कोई दिलचस्पी लेता ही नहीं था।

    अ’जीब बात है कि वो बारिदा शिमाली में गर्म हो जाता और ‘आतिशीं हाउस’ में ओला सा बन जाता। दूसरी बुशशर्ट बहुत हैरान थी कि ये क्या माजरा है!

    उसने पहली गॉगल्स को जो उसकी सहेली थी, एक ख़त लिखा और उसको अपना सारा दुख बताया।

    उसने जवाब में ये लिखा, “तुम कुछ फ़िक्र करो। ये बुशशर्ट ऐसे ही होते हैं। कभी सिकुड़ जाते हैं, कभी फैल जाते हैं। मेरा ख़याल है कि तुम्हारी लांड्री में भी कोई नुक़्स है। उसे दूर करने की कोशिश करो। तुम्हारी इस्त्री भी ऐसा मालूम होता है, ख़राब हो गई है, उसे ठीक कराओ। कहीं करंट तो नहीं मारती?”

    दूसरी गॉगल्स ने उसे लिखा, “कभी कभी मुझे ऐसा महसूस होता है कि मेरी इस्त्री करंट मारती है... मेरा बुशशर्ट गीला हो चुका होता है कि मेरी इस्त्री गर्म होती है, मैं जब उस पर फेरती हूँ तो मुझे बिजली के धचके लगते हैं।”

    जवाब में उसकी सहेली ने लिखा, “मैं तुम्हारी इस्त्री की ख़राबी समझ गई हूँ। नया प्लग भेज रही हूँ, उसको लगा कर देखो, शायद ये ख़राबी दूर हो जाये।”

    वो प्लग आया। बड़ा ख़ूबसूरत था। मगर जब उसने अपनी इस्त्री में लगाना चाहा तो फ़िट हुआ। कंडम करके उसने वापस कर दिया, और अपने बुशशर्ट की रफूगिरी शुरू कर दी।

    ये काम बड़ा नाज़ुक था मगर इस दूसरी गॉगल्स ने बड़ी मेहनत से किया पर नतीजा फिर भी सिफ़र रहा, वो ‘बारिदा शिमाली’ में गई। वहां उसने पाँच कोह हिमाला चमचों से सर किए। वहां से यख़-बस्ता हो के उठी और एक निहायत वाहियात बुशशर्ट के साथ ‘आतिशीं हाउस’ जा कर उसने दस ज्वालामुखी निगले और वापस अपने चमड़े के थैले में आगई।

    दूसरे दिन वो फिर अपने चहेते बुशशर्ट से मिली। उसको उसने बताया कि वो रात एक निहायत लगो क़िस्म के बुशशर्ट के साथ ‘आतिशीं हाउस’ गई थी, उसने क़तअ’न बुरा माना, वो सोचने लगी कि ये कैसा कलफ़ लगा बुशशर्ट है जिसकी जेबों में रश्क और हसद के सिक्के खनखनाते ही नहीं।

    उसने फिर अपनी सहेली गॉगल्स को ख़त लिखा और सुनाया, “तुम्हारा भेजा हुआ प्लग मेरी इस्त्री में लगा ही नहीं... मैंने वापस भेज दिया था, उम्मीद है कि तुम्हें मिल गया होगा। अब मुझे तुमसे ये पूछना है कि मैं क्या करूं? वो मेरा बुशशर्ट, समझ में नहीं आता क्या शय है? ख़ुदा के लिए आओ... मैं बहुत परेशान हूँ, अपने बुशशर्ट को मेरा सलाम कहना, मेरा ख़याल है कि तुम उसको हर रात पहनती हो, उसका कपड़ा बड़ा मुलायम है।”

    उस की सहेली, उसके बुलावे पर गई, उसके साथ का अपना बुशशर्ट नहीं था। दोनों बहुत ख़ुश थीं, उनके शीशे आपस में टकराए, बड़ी खनकें पैदा हुईं, जैसे कई कांच की चूड़ियां एक कलाई में पड़ी बज रही हैं।

    उसकी सहेली गॉगल्स का फ्रे़म सुनहरा था। उसे देख कर दूसरी को थोड़ा सा रश्क हुआ, मगर उसने इस जज़्बे को फ़ौरन दूर कर दिया और उस सुनहरे फ्रे़म का तआ’रुफ़ अपने ‘बुशशर्ट’ से कराया ताकि वो उसके मुतअ’ल्लिक़ कोई राय क़ायम करे और बताए कि उस पर इस्त्री किस तरह करनी चाहिए ताकि उसकी सिलवटें दूर हो जाएं।

    वो अपनी सहेली के बुशशर्ट से बड़े तपाक से मिली, उसने बड़े ग़ौर से उसका टांका देखा, मगर उसे कोई ऐ’ब नज़र आया। वो उसके अपने बुशशर्ट के मुक़ाबले में कई दर्जे अच्छा सिला हुआ था।

    उन दोनों की मुलाक़ातें होती रहीं, आख़िर एक दिन उन्होंने ‘बारिदा शिमाली’ जाने का प्रोग्राम बनाया। वो मालूम करना चाहती थी कि इस बुशशर्ट का रद्दे-अ’मल क्या होता है। वो अपनी सहेली गॉगल्स से कह गई थी कि वो अपने शीशों में से उसके बुशशर्ट को देखना चाहती है।

    जब वो ‘बारिदा शिमाली’ में गए तो वहां उस बुशशर्ट को आग लग गई जिसमें उसने अपनी साथी गॉगल्स को भी लपेट में ले लिया। दोनों देर तक उस आग में जलते रहे और उसे बुझाने के लिए ‘आतिशीं हाउस” में चले गए, चूँकि आबले ज़्यादा पड़ गए थे, इसलिए वो कई दिन उनका ईलाज बाहर ही बाहर करते रहे।

    दूसरी गॉगल्स हैरान थी कि ये दोनों कहाँ ग़ायब हो गए हैं? उसके दोनों शीशे धुंदले होते जा रहे थे कि अचानक उसकी सहेली का बुशशर्ट गया। उसने उसको पहचाना और कहा, “माफ़ कीजिएगा मेरे शीशे धुंदले हो गए हैं।”

    उसने फ़ौरन उसके शीशे निकाले, उनको अपनी सांसों से पहले गर्म, फिर नम-आलूद किया, और अपने दामन से पोंछ कर साफ़ कर दिया।

    वो हैरतज़दा हो गई, उसकी ज़िंदगी में उसके शीशे कभी इतने साफ़ नहीं हुए थे। दोनों ‘बारिदा शिमाली’ में कोह हिमाला खाने के लिए गए... वो ये खा ही रहे थे कि पहला बुशशर्ट दूसरी गॉगल्स के साथ गया।

    दोनों ख़ामोश रहे... उन्होंने दिल ही दिल में महसूस कर लिया कि वो ग़लत चोटियों पर चढ़ रहे थे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : برقعے

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए