Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अज़ीज़ लखनवी के 10 बेहतरीन शेर

लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर

अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न

भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

पैदा वो बात कर कि तुझे रोएँ दूसरे

रोना ख़ुद अपने हाल पे ये ज़ार ज़ार क्या

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

ज़बान दिल की हक़ीक़त को क्या बयाँ करती

किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

हिज्र की रात काटने वाले

क्या करेगा अगर सहर हुई

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

लुत्फ़-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार

दिल ही उजड़ गया कि ज़माना उजड़ गया

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

तुम ने छेड़ा तो कुछ खुले हम भी

बात पर बात याद आती है

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

तुम्हें हँसते हुए देखा है जब से

मुझे रोने की आदत हो गई है

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

वही हिकायत-ए-दिल थी वही शिकायत-ए-दिल

थी एक बात जहाँ से भी इब्तिदा करते

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

मुसीबत थी हमारे ही लिए क्यूँ

ये माना हम जिए लेकिन जिए क्यूँ

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

दिल की आलूदगी-ए-ज़ख़्म बढ़ी जाती है

साँस लेता हूँ तो अब ख़ून की बू आती है

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
बोलिए