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इंशा अल्लाह ख़ान इंशा के 10 बेहतरीन शेर

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर ' रेख़्ती ' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी।

जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह

कच्चे धागे से चले आएँगे सरकार बंधे

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

अजीब लुत्फ़ कुछ आपस की छेड़-छाड़ में है

कहाँ मिलाप में वो बात जो बिगाड़ में है

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

छेड़ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी राह लग अपनी

तुझे अटखेलियाँ सूझी हैं हम बे-ज़ार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

क्या हँसी आती है मुझ को हज़रत-ए-इंसान पर

फ़े'ल-ए-बद ख़ुद ही करें ला'नत करें शैतान पर

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

बहुत आगे गए बाक़ी जो हैं तय्यार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

ये अजीब माजरा है कि ब-रोज़-ए-ईद-ए-क़ुर्बां

वही ज़ब्ह भी करे है वही ले सवाब उल्टा

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

कुछ इशारा जो किया हम ने मुलाक़ात के वक़्त

टाल कर कहने लगे दिन है अभी रात के वक़्त

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

जी की जी ही में रही बात होने पाई

हैफ़ कि उस से मुलाक़ात होने पाई

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

हज़ार शैख़ ने दाढ़ी बढ़ाई सन की सी

मगर वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

अकबर इलाहाबादी

साँवले तन पे ग़ज़ब धज है बसंती शाल की

जी में है कह बैठिए अब जय कनहय्या लाल की

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
बोलिए