इंशा अल्लाह ख़ान इंशा के 10 बेहतरीन शेर
लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर ' रेख़्ती ' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी।
अजीब लुत्फ़ कुछ आपस की छेड़-छाड़ में है
कहाँ मिलाप में वो बात जो बिगाड़ में है
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न छेड़ ऐ निकहत-ए-बाद-ए-बहारी राह लग अपनी
तुझे अटखेलियाँ सूझी हैं हम बे-ज़ार बैठे हैं
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क्या हँसी आती है मुझ को हज़रत-ए-इंसान पर
फ़े'ल-ए-बद ख़ुद ही करें ला'नत करें शैतान पर
कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं
बहुत आगे गए बाक़ी जो हैं तय्यार बैठे हैं
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ये अजीब माजरा है कि ब-रोज़-ए-ईद-ए-क़ुर्बां
वही ज़ब्ह भी करे है वही ले सवाब उल्टा
कुछ इशारा जो किया हम ने मुलाक़ात के वक़्त
टाल कर कहने लगे दिन है अभी रात के वक़्त