- पुस्तक सूची 187940
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ54
बाल-साहित्य2067
नाटक / ड्रामा1025 एजुकेशन / शिक्षण376 लेख एवं परिचय1511 कि़स्सा / दास्तान1707 स्वास्थ्य106 इतिहास3553हास्य-व्यंग747 पत्रकारिता215 भाषा एवं साहित्य1967 पत्र811
जीवन शैली24 औषधि1031 आंदोलन300 नॉवेल / उपन्यास5017 राजनीतिक370 धर्म-शास्त्र4854 शोध एवं समीक्षा7299अफ़साना3046 स्केच / ख़ाका292 सामाजिक मुद्दे118 सूफ़ीवाद / रहस्यवाद2270पाठ्य पुस्तक567 अनुवाद4555महिलाओं की रचनाएँ6350-
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1489
- दोहा53
- महा-काव्य106
- व्याख्या209
- गीत63
- ग़ज़ल1319
- हाइकु12
- हम्द53
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1652
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात712
- माहिया20
- काव्य संग्रह5305
- मर्सिया400
- मसनवी881
- मुसद्दस60
- नात598
- नज़्म1309
- अन्य78
- पहेली16
- क़सीदा199
- क़व्वाली18
- क़ित'अ71
- रुबाई306
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा10
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त28
माहिर-उल क़ादरी
लेख 4
अशआर 10
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है
दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
इक बार तुझे अक़्ल ने चाहा था भुलाना
सौ बार जुनूँ ने तिरी तस्वीर दिखा दी
व्याख्या
इस शे’र में इश्क़ की घटना को अक़्ल और जुनूँ के पैमानों में तौलने का पहलू बहुत दिलचस्प है। इश्क़ के मामले में अक़्ल और उन्माद का द्वंद शाश्वत है। जहाँ अक़्ल इश्क़ को मानव जीवन के लिए हानि का एक कारण मानती है वहीं उन्माद इश्क़ को मानव जीवन का सार मानती है।और अगर इश्क़ में उन्माद पर अक़्ल हावी हो गया तो इश्क़ इश्क़ नहीं रहता क्योंकि इश्क़ की पहली शर्त जुनून है। और जुनून का ठिकाना दिल है। इसलिए अगर आशिक़ दिल के बजाय अक़्ल की सुने तो वो अपने उद्देश्य में कभी कामयाब नहीं होगा।
शायर कहना चाहता है कि मैं अपने महबूब के इश्क़ में इस क़दर मजनूं हो गया हूँ कि उसे भुलाने के लिए अक़्ल ने एक बार ठान ली थी मगर मेरे इश्क़ के जुनून ने मुझे सौ बार अपने महबूब की तस्वीर दिखा दी। “तस्वीर दिखा” भी ख़ूब है। क्योंकि उन्माद की स्थिति में इंसान एक ऐसी स्थिति से दो-चार होजाता है जब उसकी आँखों के सामने कुछ ऐसी चीज़ें दिखाई देती हैं जो यद्यपि वहाँ मौजूद नहीं होती हैं मगर इस तरह के जुनून में मुब्तला इंसान उन्हें हक़ीक़त समझता है। शे’र अपनी स्थिति की दृष्टि से बहुत दिलचस्प है।
शफ़क़ सुपुरी
ग़ज़ल 18
नज़्म 2
नअत 3
क़ितआ 4
पुस्तकें 312
चित्र शायरी 2
वीडियो 3
ऑडियो 9
अगर फ़ितरत का हर अंदाज़ बेबाकाना हो जाए
अभी दश्त-ए-कर्बला में है बुलंद ये तराना
ऐ निगाह-ए-दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दिया
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ54
बाल-साहित्य2067
-
