- पुस्तक सूची 185767
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1801
औषधि609 आंदोलन261 नॉवेल / उपन्यास3772 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी12
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1348
- दोहा62
- महा-काव्य94
- व्याख्या150
- गीत89
- ग़ज़ल820
- हाइकु11
- हम्द34
- हास्य-व्यंग41
- संकलन1430
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात650
- माहिया17
- काव्य संग्रह4116
- मर्सिया344
- मसनवी712
- मुसद्दस47
- नात456
- नज़्म1070
- अन्य57
- पहेली17
- क़सीदा153
- क़व्वाली19
- क़ित'अ53
- रुबाई268
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती16
- शेष-रचनाएं27
- सलाम29
- सेहरा8
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई20
- अनुवाद78
- वासोख़्त24
प्रेमचंद के उद्धरण
दौलत से आदमी को जो इज़्ज़त मिलती है वह उसकी नहीं, उसकी दौलत की इज़्ज़त होती है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
मैं एक मज़दूर हूँ, जिस दिन कुछ लिख न लूँ उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक़ नहीं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सोने और खाने का नाम ज़िंदगी नहीं है। आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम ज़िंदगी है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
जिस तरह अंग्रेज़ों की ज़बान अंग्रेज़ी, जापान की जापानी, ईरान की ईरानी, चीन की चीनी है, इसी तरह हिन्दुस्तान की क़ौमी ज़बान को इसी वज़न पर हिन्दुस्तानी कहना मुनासिब ही नहीं बल्कि लाज़मी है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
सच्ची शायरी की तारीफ़ यह है कि तस्वीर खींच दे। इसी तरह सच्ची तस्वीर की सिफ़त यह है कि उसमें शायरी का मज़ा आए।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अदब की बेहतरीन तारीफ़ तन्क़ीद-ए-हयात है। अदब को हमारी ज़िंदगी पर तबसेरा करना चाहिए।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हिन्दुस्तानी, उर्दू और हिन्दी की चार-दीवारी को तोड़ कर दोनों में रब्त-ज़ब्त पैदा कर देना चाहती है, ताकि दोनों एक-दूसरे के घर बे-तकल्लुफ़ आ जा सकें। महज़ मेहमान की हैसियत से नहीं, बल्कि घर के आदमी की तरह।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमें हुस्न का मेयार तब्दील करना होगा। अभी तक उसका मेयार अमीराना और ऐश परवराना था।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हिन्दुस्तान की क़ौमी ज़बान न तो वह उर्दू हो सकती है जो अरबी और फ़ारसी के ग़ैर-मानूस अलफ़ाज़ से गिराँ-बार है और न वो हिन्दी जो संस्कृत के सक़ील अलफ़ाज़ से लदी हुई है। हमारी क़ौमी ज़बान तो वही हो सकती है जिसकी बुनियाद उमूमियत पर क़ायम हो।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमारी कसौटी पर वो अदब खरा उतरेगा जिसमें तफ़क्कुर हो, आज़ादी का जज़्बा हो, हुस्न का जोहर हो, तामीर की रूह हो, ज़िंदगी की हक़ीक़तों की रौशनी हो। जो हम में हरकत, हंगामा और बेचैनी पैदा करे, सुलाये नहीं। क्योंकि अब और ज़्यादा सोना मौत की अलामत होगी।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
ऐसे बहुत से लोग हैं जो मुसव्विरी से नफ़रत रखते हैं। मेरी निगाह में ऐसे आदमियों की कुछ वक़अत नहीं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
इस वक़्त हिन्दुस्तान को शायरी से ज़्यादा मुसव्विरी की ज़रूरत है। ऐसे मुल्क में जहाँ सद्हा मुख़्तलिफ़ ज़बानें राइज हैं, अगर कोई आम ज़बान राइज हो सकती है तो वो तस्वीर की ज़बान है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
आर्टिस्ट हम में हुस्न का एहसास पैदा कर देता है और मुहब्बत की गर्मी। उसका एक फ़िक़्रा, एक लफ़्ज़, एक किनाया इस तरह हमारे अंदर बैठता है कि हमारी रूह रौशन हो जाती है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हम अदीब से यह तवक़्क़ो रखते हैं कि वो अपनी बेदार-मग़ज़ी, अपनी वुसअत-ए-ख़्याली से हमें बेदार करे। उसकी निगाह इतनी बारीक और इतनी गहरी हो कि हमें उसके कलाम से रुहानी सुरूर और तक़वियत हासिल हो।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अख़लाक़ियात और अदबियात की मंज़िल-ए- मक़्सूद एक ही है, सिर्फ़ उनके तर्ज़-ए-ख़िताब में फ़र्क़ है। अख़लाक़ियात दलीलों और नसीहतों से अक़्ल और ज़हन को मुतास्सिर करने की कोशिश करती है। अदब ने अपने लिए कैफ़ियात और जज़्बात का दायरा चुन लिया है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
अदीब का मिशन महज़ निशात, मह्फ़िल-आराई और तफ़रीह नहीं है। वह सियासत के पीछे चलने वाली हक़ीक़त नहीं बल्कि उसके आगे मशाल दिखाते हुए चलने वाली हक़ीक़त है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हर एक ज़बान का एक फ़ित्री रुज्हान होता है। उर्दू को फ़ारसी और अरबी से फ़ित्री मुनासबत है। हिन्दी को संस्कृत और प्राकृत से। इस रुज्हान को हम किसी ताक़त से भी रोक नहीं सकते, फिर इन दोनों को बाहम मिलाने की कोशिश में क्यों इन दोनों को नुक़सान पहुंचाएं।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमने समझ रखा है कि हाज़िर-तबियत और रवां-क़लम ही अदब के लिए काफ़ी है। हमारी अदबी पस्ती का बाइस यही ख़्याल है। हमें अपने अदीब का इल्मी मेयार ऊंचा करना पड़ेगा।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
भारत वर्ष में ज़बान की ग़लाज़त और बुशरे का झल्लापन हुकूमत का जुज़्व ख़्याल किया जाता है।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
हमारे लिए वो शायराना जज़्बात बे-मानी हैं, जिनसे दुनिया की बे-सिबाती हमारे दिल पर और ज़्यादा मुसल्लत हो जाए और जिनसे हमारे दिलों पर मायूसी तारी हो जाएगी।
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
GET YOUR PASS
-
बाल-साहित्य1801
-