अमीर क़ज़लबाश की टॉप 20 शायरी
मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा
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लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं
मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है
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यकुम जनवरी है नया साल है
दिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है
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टैग : नया साल
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उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़
हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा
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तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो
किस किस को बताओगे कि घर क्यूँ नहीं जाते
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सुना है अब भी मिरे हाथ की लकीरों में
नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है
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टैग : क़िस्मत
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मिरे पड़ोस में ऐसे भी लोग बसते हैं
जो मुझ में ढूँड रहे हैं बुराइयाँ अपनी
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ज़िंदगी और हैं कितने तिरे चेहरे ये बता
तुझ से इक उम्र की हालाँकि शनासाई है
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टैग : ज़िंदगी
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मिरे घर में तो कोई भी नहीं है
ख़ुदा जाने मैं किस से डर रहा हूँ
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टैग : तन्हाई
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मैं ने क्यूँ तर्क-ए-तअल्लुक़ की जसारत की है
तुम अगर ग़ौर करोगे तो पशीमाँ होगे
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जहाँ जहाँ भी है नहर-ए-फ़ुरात का इम्काँ
वहीं यज़ीद का लश्कर दिखाई देता है
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अदा हुआ है जो इक लफ़्ज़ बे-असास न हो
मिरा ख़ुदा कहीं मेरी तरह उदास न हो
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सुकूत-ए-शब में दर-ए-दिल पे एक दस्तक थी
बिखर गई तिरी यादों की कहकशाँ मुझ से
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मेरे उस के दरमियाँ हाइल कई कोहसार हैं
मुझ तक आते-आते बादल तिश्ना-लब हो जाएगा
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