अंकित दीक्षित अर्ज़
ग़ज़ल 6
अशआर 4
ज़माने ने बहुत कोशिश की तुम से दूर करने की
मैं रिश्ता तोड़ता कब हूँ जो आ जाऊँ निभाने पर
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere