aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अश्क रामपुरी

1897 - 1950

अश्क रामपुरी

ग़ज़ल 2

 

अशआर 2

इक दिन वो मिल गए थे सर-ए-रहगुज़र कहीं

फिर दिल ने बैठने दिया उम्र भर कहीं

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बात में बात उसी की है सुनो तुम जिस की

यूँ तो कहने को सभी मुँह में ज़बाँ रखते हैं

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वीडियो 5

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अश्क रामपुरी

अश्क रामपुरी

मोहतसिब ने जो निकाला हमें मयख़ाने से

अश्क रामपुरी

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