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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
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मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो दाग़ देहलवी
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इक़बाल बानो
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एजाज़ हुसैन हज़रावी
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ख़ुर्शीद बेगम
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Aae koi to baith bhi jaae मलिका पुखराज
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Aaj ki raat नूर जहाँ
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Be-zabaanii zabaa.n na ho jaa.e मलिका पुखराज
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Iqbal Bano Tere Waaday ko Dagh Dehlvi इक़बाल बानो
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Kiya hai deendar us sanam ko शुमोना राय बिस्वास
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Main hosh mein tha to phir uspe mar gaya kaise मेहदी हसन
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Mohabbat mein karen kya kuch kisi se ho nahi sakta शुमोना राय बिस्वास
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Sarguzasht apni fasana hai zamane ke liye दिलराज कौर
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रुना लैला
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मेहदी हसन
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रुना लैला
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अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का शेरिया घोशाल
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अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का सुरैया
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अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता तलअत अज़ीज़
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अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता अज्ञात
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अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता दाग़ देहलवी
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अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता शुमोना राय बिस्वास
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अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता अज्ञात
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अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता अज्ञात
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अब वो ये कह रहे हैं मिरी मान जाइए ताहिरा सैयद
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अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम अहमद हुसैन, मोहम्मद हुसैन
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अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम अज्ञात
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आप का ए'तिबार कौन करे मेहरान अमरोही
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आप का ए'तिबार कौन करे दाग़ देहलवी
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आप का ए'तिबार कौन करे शुमोना राय बिस्वास
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आरज़ू है वफ़ा करे कोई अज्ञात
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उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं दाग़ देहलवी
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उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं मेहदी हसन
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उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं दाग़ देहलवी
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उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं बेगम अख़्तर
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कहते हैं जिस को हूर वो इंसाँ तुम्हीं तो हो अनीता सिंघवी
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कहते हैं जिस को हूर वो इंसाँ तुम्हीं तो हो दाग़ देहलवी
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कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी एजाज़ हुसैन हज़रावी
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काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है दाग़ देहलवी
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काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है शुमोना राय बिस्वास
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कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया मुख़्तार बेगम
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कौन सा ताइर-ए-गुम-गश्ता उसे याद आया मुख़्तार बेगम
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खुलता नहीं है राज़ हमारे बयान से ताज मुल्तानी
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ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया ग़ुलाम अली
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ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया दाग़ देहलवी
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ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया अज्ञात
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ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया शुमोना राय बिस्वास
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ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया दाग़ देहलवी
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ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया मोहम्मद रफ़ी
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ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया दाग़ देहलवी
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ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया मेहदी हसन
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ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया फ़रीदा ख़ानम
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ग़ैर को मुँह लगा के देख लिया मेहरान अमरोही
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जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैं ताज मुल्तानी
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ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं ताहिरा सैयद
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ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं दाग़ देहलवी
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ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं मलिका पुखराज
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ज़ाहिद न कह बुरी कि ये मस्ताने आदमी हैं मलिका पुखराज
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तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था Urdu Studio
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तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था मेहरान अमरोही
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तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था दाग़ देहलवी
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तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था मेहदी हसन
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तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं अज्ञात
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दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने मेहरान अमरोही
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दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें दाग़ देहलवी
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दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें नूर जहाँ
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दिल चुरा कर नज़र चुराई है मेहरान अमरोही
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दिल चुरा कर नज़र चुराई है अज्ञात
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ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए दाग़ देहलवी
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ना-रवा कहिए ना-सज़ा कहिए फ़रीदा ख़ानम
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पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह दाग़ देहलवी
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पुकारती है ख़मोशी मिरी फ़ुग़ाँ की तरह हेमलता
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फिरे राह से वो यहाँ आते आते ताज मुल्तानी
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फिर शब-ए-ग़म ने मुझे शक्ल दिखाई क्यूँकर अज्ञात
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बात मेरी कभी सुनी ही नहीं अज्ञात
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मोहब्बत का असर जाता कहाँ है अज्ञात
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मोहब्बत का असर जाता कहाँ है मेहरान अमरोही
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रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी ग़ुलाम अली
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रंज की जब गुफ़्तुगू होने लगी दाग़ देहलवी
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ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा अज्ञात
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लुत्फ़ वो इश्क़ में पाए हैं कि जी जानता है फ़रीदा ख़ानम
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वो ज़माना नज़र नहीं आता मेहरान अमरोही
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सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं मेहरान अमरोही
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सबक़ ऐसा पढ़ा दिया तू ने सुमन कल्याणपुर
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साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें दाग़ देहलवी
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साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें फ़रीदा ख़ानम
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साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें बेगम अख़्तर
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साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें मलिका पुखराज
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साज़ ये कीना-साज़ क्या जानें राहत फ़तह अली
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सितम ही करना जफ़ा ही करना निगाह-ए-उल्फ़त कभी न करना चंदन दास
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ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया उस्उताद म्मीद अली ख़ान
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ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया दाग़ देहलवी
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ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया ताहिरा सैयद
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ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया दाग़ देहलवी
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ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा आबिदा परवीन
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ले चला जान मिरी रूठ के जाना तेरा दाग़ देहलवी