एजाज़ वारसी के शेर
मैं उस के ऐब उस को बताता भी किस तरह
वो शख़्स आज तक मुझे तन्हा नहीं मिला
- 
                                    
                                    टैग : ऐब
 
- 
                                शेयर कीजिए
 - सुझाव
 - प्रतिक्रिया
 - डाउनलोड
 
राह-रौ बच के चल दरख़्तों से
धूप दुश्मन नहीं है साए हैं
- 
                                शेयर कीजिए
 - सुझाव
 - प्रतिक्रिया
 - डाउनलोड
 
चढ़ते सूरज की मुदारात से पहले 'एजाज़'
सोच लो कितने चराग़ उस ने बुझाए होंगे
- 
                                शेयर कीजिए
 - सुझाव
 - प्रतिक्रिया
 - डाउनलोड
 
बरसों में भी छू जाए किसी को तो ग़नीमत
ख़ुशबू-ए-वफ़ा यारो बड़ी सुस्त-क़दम है
- 
                                शेयर कीजिए
 - सुझाव
 - प्रतिक्रिया
 - डाउनलोड
 
ऐ संग-ए-आस्ताँ मिरे सज्दों की लाज रख
आया हूँ ए'तिराफ़-ए-शिकस्त-ए-ख़ुदी लिए
- 
                                शेयर कीजिए
 - ग़ज़ल देखिए
 - सुझाव
 - प्रतिक्रिया
 - डाउनलोड
 
दरबानों तक के चेहरे रऊनत से मस्ख़ हैं
दस्त-ए-तलब लिए हुए फिर भी खड़े हैं लोग
- 
                                शेयर कीजिए
 - सुझाव
 - प्रतिक्रिया
 - डाउनलोड