Musavvir Sabzwari's Photo'

मुसव्विर सब्ज़वारी

1932 - 2002 | गुड़गाँव, भारत

प्रतिष्ठित आधुनिक शायर

प्रतिष्ठित आधुनिक शायर

मुसव्विर सब्ज़वारी

ग़ज़ल 55

नज़्म 4

 

अशआर 32

अपने होने का कुछ एहसास होने से हुआ

ख़ुद से मिलना मिरा इक शख़्स के खोने से हुआ

  • शेयर कीजिए

वो सर्दियों की धूप की तरह ग़ुरूब हो गया

लिपट रही है याद जिस्म से लिहाफ़ की तरह

सजनी की आँखों में छुप कर जब झाँका

बिन होली खेले ही साजन भीग गया

ख़त्म होने दे मिरे साथ ही अपना भी वजूद

तू भी इक नक़्श ख़राबे का है मर जा मुझ में

  • शेयर कीजिए

इसी उमीद पे जलती हैं दश्त दश्त आँखें

कभी तो आएगा उम्र-ए-ख़राब काट के वो

पुस्तकें 9

 

चित्र शायरी 6

 

ऑडियो 13

आँखें यूँ बरसीं पैराहन भीग गया

कई ज़मानों के दरिया-ए-नील छोड़ गया

कड़े हैं कोस सफ़र दूर का ज़रूरी है

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

"गुड़गाँव" के और शायर

 

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए