रंजूर अज़ीमाबादी
ग़ज़ल 5
अशआर 7
दिखा कर ज़हर की शीशी कहा 'रंजूर' से उस ने
अजब क्या तेरी बीमारी की ये हकमी दवा निकले
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere