aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1910 - 1968 | कोलकाता, भारत
न जाने कह गए क्या आप मुस्कुराने में
है दिल को नाज़ कि जान आ गई फ़साने में
मिरी ज़िंदगी की ज़ीनत हुई आफ़त-ओ-बला से
मैं वो ज़ुल्फ़-ए-ख़म-ब-ख़म हूँ जो सँवर गई हवा से
अभी से सुब्ह-ए-गुलशन रक़्स-फ़रमा है निगाहों में
अभी पूरी नक़ाब उल्टी नहीं है शाम-ए-सहरा ने
याद हैं आप के तोड़े हुए पैमाँ हम को
कीजिए और न शर्मिंदा-ए-एहसाँ हम को
गीत हरियाली के गाएँगे सिसकते हुए खेत
मेहनत अब ग़ारत-ए-जागीर तक आ पहुँची है
Parvez Shahidi
Hindustani Adab Ke Memar
2000
Intikhab-e-Kalam
2006
2009
Parvez Shahidi: Hayat-o-Khidmat
1988
रक़्स-ए-हयात
1957
Rubaiyat-e-Parvez Shahidi
2004
तसलीस-ए-हयात
2005
1968
Shumaara No-007
1946
Shumaara No-012
1964
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