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Unwan Chishti's Photo'

उनवान चिश्ती

1937 - 2004 | दिल्ली, भारत

उनवान चिश्ती के शेर

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वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए

जीने की आरज़ू में कई बार मर गए

आप से चूक हो गई शायद

आप और मुझ पे मेहरबाँ क्या ख़ूब

इश्क़ फिर इश्क़ है आशुफ़्ता-सरी माँगे है

होश के दौर में भी जामा-दरी माँगे है

हुस्न ही तो नहीं बेताब-ए-नुमाइश 'उनवाँ'

इश्क़ भी आज नई जल्वागरी माँगे है

इस कार-ए-नुमायाँ के शाहिद हैं चमन वाले

गुलशन में बहारों को लाए थे हमीं पहले

कुछ तो बताओ फ़रज़ानो दीवानों पर क्या गुज़री

शहर-ए-तमन्ना की गलियों में बरपा है कोहराम बहुत

रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत

हिज्र में तेरी याद बहुत है ग़म में तेरा नाम बहुत

मिरी समझ में गया हर एक राज़-ए-ज़िंदगी

जो दिल पे चोट पड़ गई तो दूर तक नज़र गई

परेशाँ हो के दिल तर्क-ए-तअल्लुक़ पर है आमादा

मोहब्बत में ये सूरत भी रास आई तो क्या होगा

मैं किस तरह तुझे इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई दूँ

रह-ए-वफ़ा में तिरे नक़्श-ए-पा भी मिलते हैं

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