aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "انعام"
यासिर ख़ान इनाम
born.1986
शायर
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
1727 - 1755
इनआम आज़मी
born.1997
इनाम नदीम
born.1967
सबीला इनाम सिद्दीक़ी
born.1994
इनाम-उल-हक़ जावेद
born.1949
इनाम कबीर
इनाम थानवी
1922 - 2008
अनअम शहज़ादी
इनाम शरर अय्यूबी
अनआम दमोही
born.1996
डॉ इनाम-उल-हक़ कौसर
लेखक
इनाम हनफ़ी
इनामुल्लाह खाँ लोधी
इनामुल्लाह ख़ाँ शरवानी
शैख़ जो है मस्जिद में नंगा रात को था मय-ख़ाने मेंजुब्बा ख़िर्क़ा कुर्ता टोपी मस्ती में इनआ'म किया
तुम उस के पास हो जिस को तुम्हारी चाह न थीकहाँ पे प्यास थी दरिया कहाँ बनाया गया
मोहब्बत की सज़ा तर्क-ए-मोहब्बतमोहब्बत का यही इनआम भी है
इनआ'म के लालच में लिखे मद्ह किसी कीइतना तो कभी कोई सुख़न-वर नहीं गिरता
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होताजब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
अग्रणी प्रगतिशील शायरों में शामिल आलोचक, बुद्धिजीवी और साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ़्तुगू’ के संपादक भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उर्दू शायरों पर टीवी सीरियलों के निर्माता
ज्ञानपीठ से पुरस्कृत उर्दू किताबें.
प्रमुखतम आधुनिक शायरों में विख्यात. साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित.
इनआ'मانعام
prize, reward
पुरस्कार
Tadrees-e-Zaban-e-Urdu
भाषा एवं साहित्य
Bairooni Mamalik Mein Urdu
मज़ामीन / लेख
Tazkira-e-Sufiya-e-Balochistan
तज़किरा
Balochistan Mein Nifaz-e-Urdu
Aashob-e-Philisteen
इनामुल्लाह ख़ाँ नासिर
इस्लामिक इतिहास
Qatal : Zabta-e-Tafteesh
इनामुर्रहमान
Insan Ka Muqaddar
मीख़ाइल सोलो ख़ौफ़
कहानी
Sawaneh Hazrat Ji Salis Maulana Mohammad Inam-ul-Hasan Kandhalvi
सय्यद मोहम्मद शाहिद सहारनपुरी
जीवनी
Allama Iqbal Aur Balochistan
Inamullah Khan Yaqeen : Ahd Aur Shairi
ज़ाहिदुल हक़
शायरी तन्क़ीद
Intikhab-e-Kalam-e-Inamullah Khan Yaqeen
संकलन
Shumali Hind Ki Urdu Shairi Mein Eham Goi
हसन अहमद निज़ामी
Deewan-e-Yaqeen
दीवान
Nobel Inam Yafta Adeebon Ki Muntakhab Kahaniyan
अफ़साना
Deewan-e-Yaqeen Dehlvi
हम ने कब चाहा कि वो शख़्स हमारा हो जाएइतना दिख जाए कि आँखों का गुज़ारा हो जाए
ये तू ने कहा क्या ऐ नादाँ फ़य्याज़ी-ए-क़ुदरत आम नहींतू फ़िक्र ओ नज़र तो पैदा कर क्या चीज़ है जो इनआम नहीं
इतनी बात तो सूबेदार रब नवाज़ की समझ में आती थी कि वो कश्मीर हासिल करने के लिए लड़ रहे हैं। कश्मीर क्यों हासिल करना है, ये भी वो अच्छी तरह समझता था इसलिए कि पाकिस्तान की बक़ा के लिए उसका इलहाक़ अशद ज़रूरी है, मगर निशाना बांधते हुए उसे...
सारेख़ुशियाँ और ग़म इनआ'म करते हैं
دولتِ فاطمہؔ لے جاؤں میں پاؤں انعامروح حیدرؔ کی ہو بے چین، مجھے ہو آرام
तुम्हारे ख़त में नज़र आई इतनी ख़ामोशीकि मुझ को रखने पड़े अपने कान काग़ज़ पर
“तुम्हारा शख़्सियत से आखिर मतलब क्या है?” मैं तो खुदा से यही चाहता था कि वह मुझे अर्ज़-ओ-मा’रूज़ का मौक़ा दें। मैंने कहा, “देखिए न! मसलन एक तालिब-इ’ल्म है। वह कॉलेज में पढ़ता है। अब एक तो उसका दिमाग़ है। एक उसका जिस्म है। जिस्म की सहत भी ज़रूरी है...
बे-सुतूँ इक नवाही में है शहर-ए-दिल कीतेशा इनआ'म करें और कोई फ़रहाद रखें
जो दुकानें बच रहीं, उनमें बेस्वाओं के भाई-बंदों और साज़िंदों ने अपनी चारपाइयाँ डाल दीं। दिन भर ये लोग उन दुकानों में ताश, चौसर और शतरंज खेलते, बदन पर तेल मलवाते, सब्ज़ी घोटते, बटेरों की पालियाँ कराते, तीतरों से “सुब्हान तेरी क़ुदरत” की रट लगवाते और घड़ा बजा-बजा कर गाते।...
قید میں پھنس کے نہ گھبرائیو اے گل اندامکاٹیو صبر و رضا سے، سفرِ کوفہ و شام
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