aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بیان"
बयान मेरठी
1840 - 1900
लेखक
चन्द्रभान ख़याल
born.1946
शायर
बयाँ अहसनुल्लाह ख़ान
1727 - 1798
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
1878/79 - 1941
बयान यज़दानी
1850 - 1900
बयान अकबराबादी
सिपाह दार ख़ान बेगुन
पंडित चंद्र भान बरहमन
1574 - 1662
एहसानुल्लाह ख़ाँ बयान
गुस्ताव ले बॉन
1841 - 1931
समीना बाग़चा बान
राधा स्वामी सत संग व्यास
पर्काशक
लाला जय किशन दास बेजान औरंगाबादी
इंद्रभान भसीन इंद्र
born.1936
Jabbar Baghcha ban
मेरी हर बात बे-असर ही रहीनुक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या
कभी बैठे सब में जो रू-ब-रू तो इशारतों ही से गुफ़्तुगूवो बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो कि न याद हो
ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान 'ग़ालिब'तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता
मेरी हर बात बे-असर ही रहीनक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या
वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान हैमाथे पे उस के चोट का गहरा निशान है
बच्चों की भावनाओं को दर्शाती हुई शायरी
मार्सिया अरबी शब्द "रसा" से लिया गया है जिसका अर्थ है मृतकों के लिए शोक करना और उनके गुणों का वर्णन करना। उर्दू में, यह शैली ज़ियादा-तर इमाम हुसैन की प्रशंसा और कर्बला की त्रासदी के वर्णन के लिए आरक्षित है।
ज़ीशान साहिल उर्दू कविता के एक अनोखे और संवेदनशील लहजे के कवि हैं, जिन्होंने आधुनिक दौर की जटिल भावनाओं को सरल लेकिन गहरे रूपकों के माध्यम से व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में एक मौन विरोध, एक तहदार आलोचना, और एक बौद्धिक कोमलता पाई जाती है जो पाठक को झकझोर देती है। उनके यहाँ दुख, ख़ामोशी और समय जैसे विषयों का सौंदर्यपूर्ण चित्रण मुख्य रूप से मिलता है।
ब्यानبیان
description
वर्णन कहना
बयानبیان
statement, declaration, description, assertion
बयान-ए-ग़ालिब
आग़ा मोहम्मद बाक़र
व्याख्या
Islam Ka Maashi Nazariya
मज़हरुद्दीन सिद्दीक़ी
इस्लामियात
अरूज़ आहंग और बयान
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
छंदशास्र
Zatal Nama
जाफ़र ज़टल्ली
शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा
इल्म-ए-बयान
नसिरुद्दीन मोहम्मद असदुर रहमान क़ुद्सी
Bayan-e-Meer
अहमद महफ़ूज़
आलोचना
Tareekh Masjid-e-Nabawi
मोहम्मद मेराजुल इस्लाम
Urdu Ke Asaleeb-e-Bayan
सय्यद मोहीउद्दीन क़ादरी हादी
Lal Qila Ki Ek Jhalak
नासिर नज़ीर फ़िराक़ देहलवी
शिक्षाप्रद
Dastan-e-Ameer Hamzah Zabani Bayaniya, Bayan Kuninda Aur Samayeen
व्याख्यान
Tazkira-e-Ahl-e-Dehli
सर सय्यद अहमद ख़ान
तज़्किरा / संस्मरण / जीवनी
Ghalib Ka Tanqeedi Shuoor
अख़लाक़ हुसैन अारिफ़
Andaz-e-Bayan Aur
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
गोस्वामी बयान-उल-अद्विया जिल्द-1
हकीम राम लुभाया
May 1977
Ek Halfiya Bayan Aur Doosre Afsane
इक़बाल मजीद
अफ़साना
क़ुबूल कैसे करूँ उन का फ़ैसला कि ये लोगमिरे ख़िलाफ़ ही मेरा बयान माँगते हैं
कहते हैं कि नौ अप्रैल की शाम को डाक्टर सत्यपाल और डाक्टर किचलू की जिला वतनी के अहकाम डिप्टी कमिशनर को मिल गए थे। वो उनकी तामील के लिए तैयार नहीं था। इसलिए कि उसके ख़याल के मुताबिक़ अमृतसर में किसी हैजानख़ेज बात का ख़तरा नहीं था। लोग पुरअम्न तरीक़े...
मैं तुझे बेवफ़ा नहीं कहतादुश्मनों का बयान है प्यारे
इस पर भी उसका ग़ुस्सा ठंडा नहीं होता था। जब तक उसका कोई साथी उसके पास बैठा रहता वो अपने सीने की आग उगलता रहता। “शक्ल देखते होना तुम उसकी... जैसे कोढ़ हो रहा है... बिल्कुल मुरदार, एक धप्पे की मार और गिट-पिट यूं बक रहा था, जैसे मार ही...
अगली गर्मियों की छुट्टियों में जब हम फिर गये तो हमने एक ढंग इख़्तियार किया। दो साल ता’लीम पाने के बाद हमारे ख़यालात में पुख़्तगी सी आ गयी थी। पिछ्ले साल हॉस्टल की हिमायत में जो दलायल हमने पेश की थीं वह अब हमें निहायत बोदी मा’लूम होने लगी थीं।...
हामिद के पास इस वार का दफ़ईह इतना आसान न था, दफ़अ'तन उसने ज़रा मोहलत पा जाने के इरादे से पूछा, “इसे पकड़ने कौन आएगा?” महमूद ने कहा, “ये सिपाही बंदूक़ वाला।”...
अकबर से बीसियों बरस पहले उस दूसरी दुनिया में मिला था जहाँ से ख़ुद आया हूँ और जहाँ तमाम मरे हुए शोअरा के साथ ये सब बज़्म-ए-सुख़न की रौनक़ बन गए हैं। वहाँ अकबर का साथ छोड़ने को तो जी नहीं चाहता था और इक़बाल तो अभी अभी वहाँ पहुँचे...
(दौर-ए-जदीद के शोअरा की एक मजलिस में मिर्ज़ा ग़ालिब का इंतज़ार किया जा रहा है। उस मजलिस में तक़रीबन तमाम जलील-उल-क़द्र जदीद शोअरा तशरीफ़ फ़र्मा हैं। मसलन मीम नून अरशद, हीरा जी, डाक्टर क़ुर्बान हुसैन ख़ालिस, मियां रफ़ीक़ अहमद ख़ूगर, राजा अह्द अली खान, प्रोफ़ेसर ग़ैज़ अहमद ग़ैज़, बिक्रमा जीत...
ग़म के भरोसे क्या कुछ छोड़ा क्या अब तुम से बयान करेंग़म भी रास आया दिल को और ही कुछ सामान करें
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