aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "سعد"
जौन एलिया
1931 - 2002
शायर
अहमद फ़राज़
1931 - 2008
सादुल्लाह शाह
born.1958
अकबर इलाहाबादी
1846 - 1921
कैफ़ी आज़मी
1918 - 2002
मोहसिन नक़वी
1947 - 1996
मुनव्वर राना
1952 - 2024
हसरत मोहानी
1878 - 1951
जाँ निसार अख़्तर
1914 - 1976
सिद्धार्थ सैनी साद
born.2000
अब्दुल हमीद अदम
1909 - 1981
मुज़्तर ख़ैराबादी
1865 - 1927
साक़ी अमरोहवी
1925 - 2005
इक़बाल साजिद
1932 - 1988
शारिक़ कैफ़ी
born.1961
सुना है आइना तिमसाल है जबीं उस कीजो सादा दिल हैं उसे बन-सँवर के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आआ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
मुझ सा कोई जहान में नादान भी न होकर के जो इश्क़ कहता है नुक़सान भी न हो
ख़ुश-रंग है अलफ़ाज़ अक़ीक़-ए-यमनी सेये साज़ है सोज़-ए-ग़म-ए-शाह-ए-मदनी से
हिज्र मुहब्बत के सफ़र का वो मोड़ है, जहाँ आशिक़ को एक दर्द एक अथाह समंदर की तरह लगता है | शायर इस दर्द को और ज़ियादः महसूस करते हैं और जब ये दर्द हद से ज़ियादा बढ़ जाता है, तो वह अपनी तख्लीक़ के ज़रिए इसे समेटने की कोशिश करता है | यहाँ दी जाने वाली पाँच नज़्में उसी दर्द की परछाईं है |
२०२२ ख़त्म हुआ आप लोगों ने उर्दू ज़बान-ओ -अदब और शाइरी से भरपूर मुहब्बत का इज़हार किया है । इस कलेक्शन में हम उन 10 नज़्मों को पेश कर रहे हैं जो रेख़्ता पर सबसे ज़्यादा पढ़ी गईं हैं।
प्रमुख और नई दिशा देने वाले आधुनिक शायर लन्दन के निवासी थे।
सादسعد
auspicious, fortunate
शुभ, मुबारक, श्रेष्ठ, पुनीत, नेक, बाईसवाँ नक्षत्र, श्रवण।।
Urdu Ghazal Ki Tahzeebi wa Fikri Buniyadein
सादुल्लाह कलीम
Khilafat-o-Mulukiyat
सय्यद अबुल आला मोदूदी
इस्लामियात
Urdu Adab Mein Khaka Nigari
साबिरा सईद
ख़ाका: इतिहास एवं समीक्षा
Angare
सज्जाद ज़हीर
प्रतिबंधित पुस्तकें
Heer Waris Shah
सय्यद वारिस शाह
शायरी
Sir Syed Ahmad Khan Aur Unke Namwar Rufaqa
सय्यद अब्दुल्लाह
आलोचना
देहली के मुहावरे
सय्यद ज़मीर हसन
भाषा
Zikr-e-Saad
सय्यद ज़िया अल्वी
जीवनी
अनार कली
सय्यद इम्तियाज़ अली ताज
रोमांनवी
ख़यालिस्तान
सज्जाद हैदर यलदरम
अफ़साना
Hikayat-e-Saadi Dilchsp-o-Naseehat Amoz
तालिब अल-हाश्मी
शिक्षाप्रद
Ilm-e-Arooz-o-Qafiya-o-Tareekh Goi
सय्यद हसन काज़िम अरूज़
तारीख-गोई
हिकायात-ए-बोस्तान-ए-सादी
नज़र ज़ैदी
Siyasat Nama
Nizam-ul-Mulk Toosi
संविधान / आईन
सर सय्यद और अलीगढ़ तहरीक
ख़लीक़ अहमद निज़ामी
साहित्यिक आंदोलन
پسرِ سعد سے وعدہ ہے، صلا لینے کاحکم ہے خیمۂ اقدس کے جلا دینے کا
عاجز ہے فکرت شعرائے ہند شعاران صنعتوں کو پائے کہاں عقلِ سادہ کار
तुम ने कैसा ये राब्ता रक्खान मिले हो न फ़ासला रक्खा
तू रुके या न रुके फ़ैसला तुझ पर छोड़ादिल ने दर खोल दिए हैं तिरी आसानी को
صدقے ہو جائے اسے عشقِ ولی کہتے ہیںاس کو دنیا میں سعیدِ ازلی کہتے ہیں
उन से मिलने का बहाना नहीं मिलता कोईधूप ही मिलती है साया नहीं मिलता कोई
بولا وہ کہ قول اگر یہی ہےبد عہدی کی پر نہیں سہی ہے
تھے خرمن فلک پہ ابھی دانۂ نجومبونے لگا جو تخم ستم ابن سعد شوم
10خیمہ میں ابن سعد کے مجمع تھا بے شمار
ہر چند دونوں تھے مرے فرزند خورد سالپر اِن کے آگے اُن کا مجھے کچھ نہ تھا خیال
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