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शेर
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
मिर्ज़ा ग़ालिब
नज़्म
हमेशा देर कर देता हूँ
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
बदलते मौसमों की सैर में दिल को लगाना हो
मुनीर नियाज़ी
कुल्लियात
दिल ख़ूँ हुआ था यकसर पानी हुआ जिगर सब
ख़ूँ-बस्ता रहतियाँ थीं पलकें सो अब हैं तर सब