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ग़ज़ल
बद कहा मैं ने रक़ीबों को तो तक़्सीर हुई
क्यूँ है बख़्शो भी भला सब में बुरा मैं ही हूँ
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
गुनह बख़्शो रसाई दो 'रसा' को अपने क़दमों तक
बुरा है या भला है जैसा है प्यारे तुम्हारा है
भारतेंदु हरिश्चंद्र
नज़्म
मैं नहीं तो क्या
मलीह चेहरे पे गर्द-ए-फ़सुर्दगी कैसी
बहार-ए-ग़ाज़ा से आरिज़ को ताज़गी बख़्शो
साहिर लुधियानवी
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रेख़्ता शब्दकोश
baKHsho bii billii chuuhaa lanDuuraa hii jiiega
बख़्शो बी बिल्ली चूहा लंडूरा ही जीएगाبَخْشو بی بِلّی چُوہا لَنْڈُورا ہی جیے گا
baKHsho bii billii chuuhaa lanDuuraa hii bhalaa
बख़्शो बी बिल्ली चूहा लंडूरा ही भलाبَخْشو بی بِلّی چُوہا لَنْڈُورا ہی بھلا
ऐसे लाभ से जिसमें हानि का भय हो उससे हाथ खींच लेना ही अच्छा है
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कुल्लियात
बद कहा मैं ने रक़ीबों को तो तक़्सीर हुई
क्यूँ है बख़्शो भी भला सब में बुरा मैं ही हूँ
मीर तक़ी मीर
ग़ज़ल
सैर-ए-गुलशन को अगर जाते हो हमराह-ए-रक़ीब
बख़्शो मेरे तईं मुझ को न बुलाओ जाओ
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
या दिल-ओ-दीदा को तनवीर-ए-मोहब्बत बख़्शो
या दम-ए-सुब्ह ज़माने में उजाला न करो
अख़्तर होशियारपुरी
ग़ज़ल
जान बख़्शो सर मिरे लाशे का ठुकराओ कभी
साग़र-ए-ख़ाली में भर दो शहद-ए-हस्ती एक दिन